8
ईसु की सेवा करवा वाळी नारीहुंण
1 इका झट बाद असो होयो के उ परमेसर का राज का बारामें सुब-समिचार सुणातो होयो नगर-नगर अने गांम-गांम जावा लाग्यो अने वी बारा चेला बी उका गेले र्‌या। 2 a अने थोड़िक नारीहुंण बी जो बायरबादाहुंण अने बेमारी से नज हुई गी ईसु का गेले थी, जिणका माय मरियम जो मगदलीनी केवाती थी अने जेका माय से सात बायरबादाहुंण हेड़ी थी। 3 अने हेरोदेस सासक का मुनीम खुजा की घराळी योअन्ना, अने सूसन्नाह अने नरी दूसरी नारीहुंण थी। ई अपणा खुद का धन से ईसु की सेवा कर्‌या करती थी।
बीज की मिसाल
(मत्ती १३.१-९; मरकुस ४.१-९)
4 जदे बड़ीमेक भीड़ भेळी हुई री थी, अने नरा नगरहुंण से लोग उका कने चल्या अई र्‌या था तो ईसु ने उणकासे मिसाल दई ने क्यो:
5 "एक बोणे वाळो बीज बोवा हिट्यो। बोता बखत थोड़ाक बाट का मेरे पड़्या अने पगहुंण से रोंदई ग्या अने असमान का पखेरुहुंण ने अई के चुगिल्या। 6 थोड़ाक सिल्ला पे पड़्या जेका पे थोड़ोक गारो थो, वी उगताज सुकी ग्या क्योंके उका माय सीत नी थी। 7 थोड़ा कांटाळी झांडी माय पड़्या अने झांडिहुंण ने गेले-गेल बड़ी के उणके दबाड़ी लाख्या। 8 दूसरा बीज अच्छी जमीन पे पड़्या अने उगी के सो गुणा फळ्या।"
यो कई उने उंची अवाज माय क्यो, "जेका सुणवा का कान होय उ सुणी ले।"
मिसाल को मकसद
(मत्ती १३.१०-१७; मरकुस ४.१०-१२)
9 उका चेलाहुंण उकासे सवाल करवा लाग्या के इनी मिसाल को अरथ कंई हुई सके? 10 b उने क्यो: "परमेसर ने तमारे या समज दई के तम उका राज का भेद के जाणो, पण दूसरा के मिसाल मायज बताड़्यो जावे के वी देखता होया नी देखे अने सुणता होया नी सुणे।
मिसाल को अरथ
(मत्ती १३.१८-२३; मरकुस ४.१३-२०)
11 "मिसाल को अरथ यो, बीज परमेसर को बचन। 12 बाट का मेरे वाळा वी जिणने बचन तो सुण्यो पण सेतान अई के उणका हिरदाहुंण माय से बचन उठई लई जावे, के वी बिसास नी करे अने उणको उध्दार नी होय। 13 सिल्ला पे का वी जो बचन सुणवा पे उके बड़ा आनन्द से माने तो हे पण जड़ उन्‍डी नी होवा से घड़ी भर तो बिसास करे, पण जदे अजमाया जावा को बखत आय तो भेकी जावे हे। 14 जो बीज कांटाळी झांडिहुंण माय पड़्या वी हे, जिणने बचन सुण्यो अने जसे वी अगड़े बड़्या वी चिन्ताहुंण, धन, अने जीवन का सुख-बिलास माय फंसी जाय, अने उणको फळ कदी नी पाके। 15 अच्छी जमीन का बीज वी जो बचन सुणी के अपणा साफ अने अच्छा हिरदा माय उके अटोपी राखे अने वी बड़ा जिरना से फळ लाय।
बचन ध्यान दई सुणणो
(मर ४.२१-२५)
16 c "दीयो बाळी के कइंकोज उके ठामड़ा से नी ढांके नीज खाट का निच्चे धरे, पण उके अदरे पेवला पे धरे जेकासे भित्तरे आवा-जावा वाळाहुंण के उजाळो मिळे।
17 d "क्योंके जो कंई छिप्यो हे उ परगट होयगा। अने जो कइंकी गुपत बात हे वा जाणी जायगा अने परगट होयगा।
18 e "इकासरु होसियार रो के तम कसतरा सुणो हो, क्योंके जेका कने हे उके हजु बी द्‍यो जायगा, अने जेका कने नी हे उकासे उ बी जेके उ अपणो जाणे लई ल्यो जायगा।"
ईसु की मेतारी अने भई-बेनहुंण
(मत्ती १२.४६-५०; मरकुस ३.३१-३५)
19 ईसु की मेतारी अने उका भई बी उका कने आया, पण भीड़ की वजासे उकासे मिळी नी सक्या। 20 अने कइंका ने उके बताड़्यो, "थारी मेतारी अने भई-बेनहुंण बायरे उब्या हे। वी थार से मिळनों चावे।"
21 पण उने जुवाब द्‍यो, "म्हारी मेतारी अने म्हारा भई तो ई हे जो परमेसर को बचन सुणी के उको पाळण करे।"
अन्दी-दंदवाळ के थामणो
(मत्ती ८.२३-२७; मरकुस ४.३५-४१)
22 तो एक दन असो होयो के उ अने उका चेलाहुंण एक नाव पे चड़ी ग्या अने उने उणकासे क्यो, "आव, सरवर का पेलां पारf चलां।" अने चेलाहुंण एक नाव पे चड़ी ग्या अने उणने नाव छोड़ी लाखी। 23 जदे वी खेता होया अगड़े बड़ता जई र्‌या था तो उ सोई ग्यो। अने सरवर माय घणो भयंकर अन्दी-दंदवाळ चल्यो, नाव माय पाणी भरावा लाग्यो अने उणकी जान खतरा माय पड़ी गी। 24 तो चेलाहुंण ने कने अई के उके जगाड़्यो अने क्यो, "मालेख, हे मालेख! हम डुबी र्‌या हे!"
उने उठी के अन्दी-दंदवाळ अने उठी हुई पाणी की लेरहुंण के डांट्यो अने वी थमी गी अने सान्ती हुई गी। 25 उने उणकासे क्यो, "तमारो बिसास कंय्यांड़ी हे?"
वी डरी ग्या अने अचरज माय हुई ने एक दूसरा से केवा लाग्या, "तो फेर यो कुंण हे जो अन्दी-दंदवाळ अने पाणी के बी हुकम दे अने वी उकी मानी ले?"
ईसु बायरबादा के बस माय करवा वाळो
(मत्ती ८.२८-३४; मरकुस ५.१-२०)
26 तो वी गिरासेनियोg का इलाका माय पोंच्या जो गलील का सामेंज हे। 27 जदे उ गलील का कराड़ा पे उतर्‌यो तो उके उना नगर को एक मनख मिळ्यो जेका माय बायरबादाहुंण थी। उ नरा दन से नी तो लतरा पेरतो थो ने नी घर माय रेतो थो। पण कबरहुंण मायज रेतो थो। 28-29 ईसु तो बायरबादाहुंण के हुकम दई र्‌यो थो के उना मनख माय से हिटी जाये, क्योंके नरी कावा उणने उना मनख के पकड़्यो थो, लोग उके सांकळ अने बेड़िहुंण से बान्‍दी के नेपा माय राखता था, फेर बी उ इना बन्‍दणहुंण के तोड़ी लाखतो थो अने बायरबादाहुंण उके मांळ माय भगाड़ती-फरती थी। तो ईसु के देखी के उ चिल्‍लाड़ी उठ्यो अने उका सामे पड़ी के उंची अवाज माय उने क्यो, "हे सगळा से म्हान परमेसर का बेटा ईसु, म्हारे थार से कंई काम? हूं थार से बिणती करूं के म्हारे सजा मती देजे।"
30 ईसु ने उकासे पुछ्‌यो "थारो कंई नाम हे?"
उने क्यो, "पळटन" क्योंके उका माय नरी बायरबादाहुंण भर‍ई हुई थी। 31 वी उकासे बिणती करिके कई री थी, "हमारे उन्‍डा कुण्डh माय जावा को हुकम मती दे।"
32 वां सुंवल्डाहुंण को घणो बड़ो टोळो बळ्डा पे चरी र्‌यो थो। तो बायरबादाहुंण ने उकासे घणी बिणती करी के उणके उना सुंवल्डाहुंण माय जावा दे। ईसु ने उणके जावा द्‍या। 33 बायरबादाहुंण उना मनख माय से हिटी ने सुंवल्डाहुंण माय भरई गी अने आखो टोळो उंचा कराड़ा पे से निच्चे लपकी के सरवर माय कुद्‍यो अने डुबी के मरी ग्यो।
34 जदे चरावा वाळाहुंण ने जो कंई होयो देख्यो, तो भागी के नगर माय अने गांमहुंण माय जई के बतई द्‍यो। 35 तो लोग, जो कंई होयो उके देखवा हिट्या अने ईसु कने आया। वां उणने उना मनख के जेका माय से बायरबादाहुंण हेड़ी थी, ईसु का पगहुंण कने बेठ्यो होयो देख्यो, उ लतरा पेर्‌यो होयो सांत सुभाव माय थो, इका पे वी डरी ग्या। 36 देखवा वाळाहुंण ने उणके बताड़्यो के उ मनख जेका माय बायरबादा भराणी थी कसे नज होयो। 37 तो गिरासेनियो अने ऐरे-मेरे का इलाका का सगळा लोगहुंण ने ईसु से बिणती करी के उ उणका कने से चल्यो जाय, क्योंके वी घणा डरी ग्या था। अने उ नाव पे चड़िने पाछो चल्यो ग्यो। 38 उ मनख जेका माय से बायरबादाहुंण हेड़ी थी उकासे बिणती करवा लाग्यो, "म्हारे बी थारा गेले चलवा दे।"
पण ईसु ने उके यो कई के फेरी द्‍यो: 39 "अपणा घरे पाछो चल्यो जा अने लोगहुंण के बताड़ के परमेसर ने थारा सरु कसा काम कर्‌या हे।"
उ पाछो नगर माय अई के आखा नगर माय यो परचार करतो फर्‌यो, के ईसु ने म्हारा सरु कसा बड़ा म्हान काम कर्‌या हे।
एक मरी हुई नानी अने एक बेमार बइरा
(मत्ती ९.१८-२६; मरकुस ५.२१-४३)
40 ज्योंज ईसु पाछो जां से ग्यो थो आयो, तो भीड़ ने उको सुवागत कर्‌यो क्योंके वी सगळा उकी बाट जोई र्‌या था। 41 अने देखो, याईर नामको एक मनख आयो जो पराथनाघर को हाकिम थो। उ ईसु का पगहुंण पे अई के ने पड़ी ग्यो उने उके अपणा घरे चलवा सरु मनाड़्वा लाग्यो। 42 क्योंके उकी एखली बेटी, जो बारा बरस का ऐरे-मेरे की थी अने जो मरवा पे थी।
जदे उ जावा सरु होयो तो भीड़ ईसु पे लदालद पड़ी री थी। 43 जदे एक बइरा जेके बारा बरस से लोई बिवा की बेमारी थी अने बेदहुंण कने जई के अपणो आखो धन खतम करी लाख्यो थोi, जेके कइंकाज बेद नज नी करी सक्या था। 44 पछड़े से अई के ईसु का चोळा का किनोर से चोंटी गी, तो झट उको लोई बिणो बन्द हुई ग्यो। 45 ईसु ने क्यो, "कुंण म्हार से चोंट्यो?"
जदे वी सगळा नटी र्‌या था तो पतरस ने क्यो, "हे मालेख, भीड़ भेळी हुई ने थार पे लद‍ई री हे।"
46 पण ईसु ने क्यो, "कइंको म्हार से चोंट्यो। म्हारे मालम हुई ग्यो के म्हारा माय से सामरत हिटी हे।" 47 जदे उनी बइरा ने देख्यो के हूं छिपी नी सकती, तो डर का मारे धुजती हुई अई के ने उका पगे पड़ी गी। उने सगळा मनखहुंण का सामे क्यो के वा कायसरु उकासे चोंटी अने कसे वा झट नज हुई गी। 48 उने उकासे क्यो, "बेटी, थारा बिसास ने थारे नज कर्‌यो। जा, चेन से चली जा।"
49 जदे उ यो कइज र्‌यो थो तो कइंका ने पराथनाघर का हाकिम का घर से अई के क्यो, "थारी नानी मरी गी। अबे गरु के परेसान मती कर।"
50 पण जदे ईसु ने सुण्यो तो उकासे क्यो, "नठू मती डर! सिरप बिसास राख तो वा बची जायगा।"
51 जदे उ उना घर माय पोंच्यो तो उने पतरस, योहन, याकूब अने उनी नानी का मां-बाप का अलावा दूसरा कइंका के अपणा गेले भित्तरे नी आवा द्‍या। 52 वी सगळा मनख उका सरु रुदन करिके रोई र्‌या था, पण उने क्यो "रोणो-धोणो, बन्द करो, क्योंके वा मरी हयनी, पण सोइर्‌यो री हे।"
53 इका पे लोग हंसवा लाग्या क्योंके वी जाणता था के वा मरी गी हे। 54 पण उने उको हात पकड़ी के यो कई के हेला पाड़्यो, "हे नानी, उठ्या।" 55 तो उकी आतमा उका माय अइगी अने वा झट उबी हुई गी, अने ईसु ने हुकम द्‍यो इके थोड़ोक-कंई खावा सरु द्‍यो जाय। 56 उका मां-बाप के घणो अचरज होयो, पण उने उणके हुकम द्‍यो के जो कंई होयो उके कइंका से किजो मती।