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1 ईसु ने उणकासे यो बी क्यो, "हूं तमार से सांची कूं, यां जो उब्या हे उणका माय से नरा मनखहुंण मोत को सुवाद नी चाखेगा जदत्तक के परमेसर का राज के सामरत समेत आयो होयो नी देखी लेगा।"
ईसु का गेले मूसा अने एलियाह का दरसन
(मत्ती १७.१-१३; लूका ९.२८-३६)
2 a ईसु छेः दन पाछे पतरस अने याकूब अने योहन के अपणा गेले ल्यो अने एखला माय कइंका एक उंचा परबत पे लई ग्यो; अने उणका सामे उको रुप बदळ्यो। 3 अने उका लतरा इतरा उजळा अने धोळा हुई ग्या जितरा के धरती को कईं को धोबी बी धोळो नी करी सके। 4 अने मूसा नबीb का गेले उणके एलियाह नबी नगे आयो, अने दोई ईसु से बात-चित करी र्या था। 5 पतरस ने ईसु से क्यो, "हे रब्बी (गरु) हमारा सरु यां रेणो अच्छो हे; हम यां तीन डेरा बणावां, एक थारा सरु, एक मूसा सरु, अने एक एलियाह सरु।" 6 उ समजी नी र्यो थो के कंई कई र्यो हे, क्योंके वी घणा डरी ग्या था।
7 c तो एक बादळो उठ्यो जेने उणके छई ल्यो, अने उना बादळा माय से या अवाज अई, "यो म्हारो परमिलो बेटो हे, इकी सुणो।" 8 जदे उणने एक दम चारी-मेर नगे फेरी तो अपणा गेले ईसु का अलावा दूसरा कइंका के नी देख्यो।
9 जदे वी परबत पे से निच्चे उतरी र्या था तो उने उणके हुकम द्यो के जदत्तक हूं मनख को बेटो मर्या माय से जीवतो नी हुई जउं तदत्तक जो कंई तमने देख्यो उके कइंका से किजो मती।
10 अने वी इनी बात के लई के माय-माय तरक-बितरक करवा लाग्या के मर्या माय से जी उठवा को अरथ कंई हुई सके। 11 d अने वी उकासे यो कई के पुछवा लाग्या, "सासतरी कायसरु के हे, के एलियाह नबी के पेलां आणो जरुरी हे।"
12 उने उणकासे क्यो, "एलियाह नबी के पेलां अई के सगळो कंई सुदारणो थो। फेर बी हूं मनख का बेटा सरु यो कायसरु लिख्यो के उ घणो दुःख उठाड़ेगा अने नकार्यो जायगा। 13 पण हूं तमार से सांची कूं, के एलियाह नबी सांची माय अई चुक्यो, अने जसो उका बारामें लिख्यो लोगहुंण ने जो चायो उका गेले कर्यो।"
मिरगी का बेमार के नज करनों
(मत्ती १७.१४-२१; लूका ९.३७-४३अ)
14 अने जदे वी चेलाहुंण कने पाछा आया तो वां देख्यो के उणका चारी-मेर बड़ीमेक भीड़ लागी हे अने थोड़ाक सासतरी उणका से बिवाद करी र्या हे। 15 पण जदे भीड़ ने ईसु के देख्यो तो सगळा लोग दंग रई ग्या अने दोड़ी के उणने उके नमसकार कर्यो। 16 उने पुछ्यो, "तम उणका गेले कंई बिवाद करी र्या हो?"
17 भीड़ माय से एक ने जुवाब द्यो, "हे गरु, हूं थारा कने अपणा बेटा के लायो हूं, जेका माय असी आतमा समई हे जो उके गुंगो बणई लाखे हे; 18 अने जदे कदी उके पकड़े तो जमीन पे पटकी लाखे अने उ मुन्डा माय झाग भरी लाय अने दांत पिसे अने ऐंठई जाय। म्हने थारा चेलाहुंण से उके हेड़वा की क्यो पण वी उके नी हेड़ी सक्या।"
19 उने जुवाब देता होया उणकासे क्यो, "हे कमबिसासी पीढ़ी का लोगहुंण, हूं कदत्तक तमारा गेले रुंवां? हूं कदत्तक तमारी सउंवां? नाना के म्हारा कने ल्याव।" 20 वी नाना के उका कने ल्याया।
अने जदे उने उके देख्यो तो झट उनी आतमा ने उके मरोड़्यो अने उ जमीन पे पड़ी के मुन्डा से झाग हेड़वा अने अंई-वंई रड़कवा लाग्यो। 21 तो उने उका पिता से पुछ्यो,
"इके कद से असो हुई र्यो हे?" उने जुवाब द्यो, "नानपण सेज। 22 उने इके नास करवा सरु कदी लाय माय तो कदी पाणी माय पटक्यो। पण अगर तू कंई करी सके तो हमार पे तरस खई के हमारी मदद कर।"
23 ईसु ने उकासे क्यो, "कंई? अगर तू करी सके!' बिसास करवा वाळा सरु सगळो कंई सबगो हे।"
24 नाना का पिता ने झट चिल्लाड़ी के क्यो, "हूं बिसास करूं, म्हारा कमबिसास को इलाज कर।"
25 जदे ईसु ने देख्यो के भीड़ बड़ती जई री तो उने बुरी आतमा के या कई के फटकारी, "ऐ गुंगी अने बेरी आतमा, हूं थारे हुकम दउं के इका माय से हिट्या अने फेर कदी इका माय मती भराजे।"
26 अने वा चिल्लाड़ी के अने उके घणो मरोड़ी के उका माय से हिटी गी; अने नानो असो मर्यो सरीको हुई ग्यो के उणका माय से नरा ने क्यो, "उ तो मरी ग्यो" 27 पण ईसु ने उको हात पकड़ी के उके उठाड़्यो अने उ उबो उठ्यायो।
28 जदे ईसु घर माय आयो, तो उका चेला एखला माय उकासे पुछवा लाग्या, "हम उके कायसरु हेड़ी नी सक्या?"
29 उने उणकासे क्यो, "असतरा की ई बुरी आतमाहुंण की जात पराथना का अलावा दूसरा कइंका उपाव से नी हिटी सके।"
अपणी मोत का बारामें ईसु का बिचार
(मत्ती १७.२२-२३; लूका ९.४३ब-४५)
30 फेर वी वां से हिट्या अने गलील इलाका माय से हुई के जावा लाग्या। उ नी चातो थो के कइंका के इको पतो चले। 31 क्योंके उ अपणा चेलाहुंण के सीख दई र्यो थो अने उणके बताड़ी र्यो थो, "हूं मनख को बेटो, मनखहुंण का हाते पकड़वायो जउंवां, अने वी म्हारे मारी लाखेगा; पण मरी जावा का तीन दन बाद हूं जिन्दो हुई जउंवां।"
32 पण वी या बात के नी समजी सक्या अने उकासे पुछवा से डरता था।
सगळा से मोटो कुंण
(मत्ती १८.१-५; लूका ९.४६-४८)
33 फेर वी कफरनहूम नगर माय पोंच्या, अने जदे उ घर माय थो तो उने उणकासे पुछ्यो, "बाट माय तम कंई बिवाद करी र्या था?"
34 e पण वी छाना र्या, क्योंके बाट माय उणने बिवाद कर्यो थो के हमार माय से मोटो कुंण हे। 35 f बेठवा का बाद उने बारा चेलाहुंण के तेड़्या अने उणकासे क्यो, "अगर कईं को पेलो बणणो चावे तो सगळा से पछात्यो अने सगळा को सेवक बणे।" 36 जदे उने एक बाळक के लई के उणका अदाड़ माय उबाड़्यो, अने उके खोळा माय लई के उणकासे क्यो, 37 g "जो कईं को म्हारा नाम से असा कइंका बाळक के माने उ म्हारे माने, अने जो म्हारे माने उ म्हारे नी पण उके माने जेने म्हारे मोकल्यो हे।"
जो हमारा बिरोद माय हयनी उ हमारो हे
(लूका ९.४५-५०)
38 योहन ने उकासे क्यो, "हे गरु, हमने कइंका के थारा नाम से बुरी आतमाहुंण हेड़ते देख्यो अने उके रोकवा की कोसिस करी, क्योंके उ हमारो गेले को नी थो।"
39 पण ईसु ने उकासे क्यो, "उके मती रोको, क्योंके असो कईं को नी जो म्हारा नाम से अचरज को काम करे अने उका झट पाछे म्हारे बुरो कइदे। 40 h क्योंके जो हमारा बिरोद माय हयनी उ हमारा गेले हे। 41 i जो कईं को तमारे मसीह का होवा की वजासे एक गिलास पाणी पिवाड़े, तो हूं तमार से सांची कूं के उ अपणो फळ कदी नी खोयगा।
पाप माय पड़वा को लोभ
(मत्ती १८.६–९; लूका १७.१–२)
42 अने जो कईं को बिसास करवा वाळा इना नानाहुंण माय से एक के बी ठोकर खवाड़े तो उका सरु अच्छो होतो के उका गळा माय बजनदार घट्टी को पुड़ लटकाड़ी के उके समन्दर माय लाख्यो जातो। 43 j अने अगर थारो हात थार से पाप करावे, तो उके काटिके फेंकी लाख; थारा सरु यो भलो के तू बिना हात के जीवन माय जावे इका बदळे के दो हात रेता नरक माय याने उनी नी बुजवा वाळी लाय माय लाख्यो जाय। 44 (४४ याने ४६ पद ४८ काज सरीको हे अने खास पाण्डुलिपि माय नी मिळे) 45 अगर थारो पग थारे ठोकर खवाड़े तो उके काटिके फेंकी लाख; दो पग रेता होया नरक माय जाणे से भलो हे के लंगड़ो हुई के सरग माय जावे। 46 (४४ का सरीकोज हे) 47 k अगर थारी आंख थार से पाप करावे, तो उके हेड़ी फेंक। भलो यो के तू काणो हुई के परमेसर का राज माय जावे, बजाय इका के तू दो आंख रेता होय नरक माय लाख्यो जाय, 48 l जां उणको किड़ो नी मरे अने नी लायज बुजे हे।
49 क्योंके हरेक जणो लाय से लूंणो कर्यो जायगा।
"अपणा माय लूंण राखो अने माय-माय मिळी-जुळी के रो।"