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सासतरिहुंण अने फरीसिहुंण के धिक्कारनो
(मरकुस १२.३८–३९; लूका ११.४३,४६; २०.४५-४६)
1 तो ईसु ने भीड़ से अने अपणा चेलाहुंण से क्यो, 2 "सासतरी अने फरीसी मूसा की गादी पे बेठ्या हे। 3 इकासरु जो कंई वी तमार से के उके करजो अने मानजो, पण उणका सरीका काम मती करजो; क्योंके वी के तो हे पण करे हयनी। 4 वी घणा बजन के बान्दी के मनखहुंण का कांधा पे लादी दे, पण खुद उणके अपणी अंगळी से बी टळ्ळो नी लगाड़े 5 b वी अपणो सगळो काम मनखहुंण के बताड़वा सरु करे, वी अपणा तावीजहुंण के चोड़ा करेa अने अपणा लतराहुंण की झालरहुंण के लम्बी करे। 6 अने दावतहुंण माय आदर की जगा अने पराथनाघरहुंण माय खास आसण, 7 अने हाटहुंण माय मान-सम्मान पाणो अने लोगहुंण से 'रब्बी' केवाड़णो उणके भावे हे। 8 पण तम 'रब्बी' मती केवाड़जो, क्योंके तमारो एकज गरु हे अने तम सगळा भई हो। 9 धरती पे कइंका के अपणो बाप मती किजो, क्योंके तमारो एकज बाप हे, जो सरग माय रे। 10 तम अगवो मती केवाड़्या जावजो क्योंके तमारो एकज अगवो हे याने हूं मसीह। 11 c पण जो तमारा माय सगळा से मोटो हे उ तमारो सेवक रेगा। 12 d जो कईं को अपणे खुद के उंचो करेगा उ निच्चो कर्यो जायगा, अने जो खुद के निच्चो करेगा उ उंचो कर्यो जायगा।
यहूदिहुंण का धारमिक नेताहुंण के सजा
(मरकुस १२.४०; लूका ११.३९–४२,४४,५२; २०.४७)
13 हे ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण, तमारे धिक्कार! क्योंके तम मनखहुंण सरु सरग को राज को कमांड़ बन्द करी लाखो हो। तम नी तो खुद जाव हो अने नीज जावा वाळाहुंण के भित्तरे जावा दो हो। 14 (हे ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण, तमारे धिक्कार! क्योंके दिखावा सरु बड़ी-बड़ी पराथनाहुंण करता होया बी तम रांडिहुंण का घरहुंण के गिली जाव हो, इकासरु तमारे घणी सजा मिळेगा।)e
15 हे ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण तमारे धिक्कार! तम एक मनख के अपणा आड़ी मिळावा सरु धरती-असमान एक करी लाखो, अने जदे उ अई जावे तो उके अपणा से दूगणो नरक को भागीदार बणई लाखो हो।
16 "हे आंदा अगवाहुंण, तमारे धिक्कार! तम जो को हो, के अगर कईं को मन्दर की सोगन खाय, तो कइंनी, पण मन्दर का सुन्ना की सोगन खाय तो उ बन्दी जायगा।" 17 हे मूरख अने आंदाहुंण, कंई जरुरी हे सुन्नो, के उ मन्दर जो सुन्ना के पवित्तर करे हे? 18 फेर को हो, 'अगर कईं को बेदी का चड़ावा की सोगन खायगा तो उ बन्दी जायगा।' 19 हे आंदाहुंण, कंई जरुरी हे चड़ावो, के वा बेदी जो चड़ावा के पवित्तर करे हे? 20 इकासरु जो सोगन खाय, उ बेदी अने उका पे धर्यो चड़ावो दोइज की सोगन खाय हे। 21 जो मन्दर की सोगन खाय, उ मन्दर अने उका माय रेवा वाळा परमेसर की बी सोगन खाय हे, 22 f अने जो सरग की सोगन खाय, उ परमेसर का सिंगासण अने उका पे बेठवा वाळा दोई की सोगन खाय हे।
23 g "हे ढोंगी सासतरी फरीसिहुंण तमारे धिक्कार! तम पोदिनो, सोंप अने जीरा को दसवों हिस्सो तो दो हो, पण नेम-बिधान की गेरी बातहुंण याने न्याव, दया, अने बिसास के टाळो हो, पण होणो तो यो थो के इनी बातहुंण के करता होया दूसरी बातहुंण के बी नी टाळता। 24 हे आंदा अगवाहुंण, तम मच्छर के तो छाणी लाखो, पण ऊंटड़ा के गिली जाव हो!
25 "हे ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण तमारे धिक्कार! तम कटोरा अने परात के बायरे से तो मांजो हो, पण भित्तरे से तम हरतरा की लुट अने बेकाबु से भर्या रो हे। 26 हे आंदा फरीसी, पेलां कटोरा अने परात के भित्तरे से मांज जेकासे के वी बायरे बी साफ रे।
27 h हे ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण, तमारे धिक्कार! तम चुन्ना से लिपी हुई कबरहुंण सरीका हो जो बायरे से तो अच्छी नगे आय, पण भित्तरे मुरदा का हड़काहुंण अने सगळी सड़ांद से भरी रे हे। 28 असतरा तम बी बायरे से मनखहुंण के धरमी नगे आव, पण भित्तरे ढोंग अने अधरम से भर्या रो हो।
यहूदिहुंण का धारमिक नेताहुंण के सजा की भविसबाणी
(लूका ११.४७–५१)
29 "ढोंगी सासतरी अने फरीसिहुंण, तमारे धिक्कार! तम नबिहुंण की कबरहुंण तो बणाव अने धरमिहुंण की रियादगारी सजाड़ो हो, 30 अने को हो, अगर हम अपणा पूरखाहुंण का बखत माय होता, तो नबिहुंण की हत्या माय हिस्सो नी लेता।, 31 निचोड़ यो के तम खुद अपणा बिरोद माय गवई दो हो, के तम नबिहुंण का हत्याराहुंण की ओलाद हो। 32 अबे तमने अपणा पूरखाहुंण का पाप को गागर्यो भरी लाख्यो। 33 i हे सरपहुंण, हे करेतहुंण का कणाहुंण, तम नरक की सजा से कसे बचोगा? 34 इकासरु देखो, हूं तमारा सरु नबिहुंण अने ज्ञानिहुंण अने सासतरिहुंण के मोकली र्यो हूं। तम उणका माय से थोड़ाक की हत्या करोगा अने थोड़ाक के कुरुस पे चड़ावगा, फेर थोड़ाक के अपणा पराथनाघर माय कोड़ा लगाड़ोगा अने नगर-नगर सताड़ता फरोगा, 35 j के जितरा धरमिहुंण को लोई धरती पे बिवाड़्यो, उ तमारा माथे पड़े, याने धरमी हाबिल से लई के बिरिक्याह का बेटा जकरियाह तक, जेके तमने मन्दर अने बेदी का अदाड़ माय मारी लाख्यो थो। 36 हूं तमार से खास बात कूं, ई सगळी बातहुंण इनी पीड़ी का माथे पड़ेगा।
यरुसलेम सरु कळपणो
(लूका १३.३४–३५)
37 "हे यरुसलेम नगर, हे यरुसलेम नगर! तू नबिहुंण के मारी लाखे अने जो थारा कने मोकल्या जाय, उणके ढेपड़ा मार्या जाय हे। म्हने कितरी कावा चायो के जसे मुरगी अपणा बच्चाहुंण के पांख तळे भेळा करे, वसोज हूं बी थारा बाळकहुंण के भेळा करूं, पण तमने नी चायो। 38 k देखो, तमारो घर तमारा सरु उजाड़ छोड़्यो जाय हे। 39 l क्योंके हूं तमार से कूं के अब से तम म्हारे तदत्तक नी देखोगा जदत्तक यो कोगा हयनी: के 'धन्य हे उ जो परभु का नाम से आवे हे'।"