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रीति-रिवाज पे सवाल
(मरकुस ७.१–१३)
1 यरुसलेम नगर से थोड़ाक फरीसी अने सासतरी ईसु कने अई के केवा लाग्या, 2 "थारा चेलाहुंण पूरखाहुंण की रीति के कायसरु नी माने? वी तो रोटा खाता बखत रीति मुजब हात नी धोय हे।"
3 उने जुवाब द्‍यो, "अपणी रीति-रिवाज सरु तम खुद परमेसर का हुकम को उलांगो कायसरु करो? 4 a क्योंके परमेसर ने क्यो, 'अपणा पिता अने अपणी मेतारी को मान राखो,' अने 'जो अपणा पिता अने मेतारी के बुरो के उ मारी लाख्यो जाय।' 5 पण तम को हो के अगर कईं को अपणा पिता अने मेतारी से के हे के, 'म्हार से जो बी फायदो तमारे पोंची सकतो थो, उ परमेसर का करार मुजब अरपण कर्‌यो जई चुक्यो,' 6 तो उके अपणा पिता अने अपणी मेतारीb को मान करवा की जरुवत हयनी। असतरा तमने अपणी रीति-रिवाज सरु परमेसर का बचन के बेकार करी लाख्यो। 7 हे ढोंगीहुंण! यसायाह नबी ने तमारा बारा माय या भविसबाणी ठीकज करी:
8 c 'ई लोग होंटहुंण से तो म्हारो मान करे,
पण इणका हिरदा म्हार से दूरा हे।
9 ई बेकार म्हारी उपासणा करे,
अने मनखहुंण की सीख के धरम को नेम करिके सीखाड़े हे!' "
सुद्द अने असुद्द
(मरकुस ७.१४–२३)
10 ईसु ने भीड़ के अपणा कने बुलाड़ी के उणकासे क्यो, "सुणो अने समजी लो: 11 जो मुन्डा माय जाय उ मनख के असुद्द नी करे, पण जो मुन्डा से हिटे, उज मनख के असुद्द करे।"
12 तो चेलाहुंण ने अई के उकासे क्यो, "कंई तू जाणे के इनी बात के सुणी के फरीसिहुंण ने ठोकर खई?"
13 पण उने जुवाब द्‍यो, "हरेक रोपो जेके म्हारा सरग पिता ने नी रोप्यो, उखाड़्यो जायगा। 14 d उणके रेवा दो; वी आंदा मारग देखवा वाळा हे अने आंदो अगर आंदा के मारग बताड़े तो दोइज खाड़ा माय पड़ेगा।"
15 यो सुणी के पतरस ने क्यो, "या मिसाल हमारे समजाड़ी दे।"
16 उने क्यो, "कंई तम लोग बी अबी तक नी समज्या? 17 कंई तम नी जाणो के जो कंई मुन्डा माय जाय, उ पेट माय जई के मळ रस्ता से हिटी जाय? 18 e पण जो मुन्डा से बायरे आवे, उ हिरदा से हिटे अने उज मनख के असुद्द करे। 19 क्योंके हिरदा सेज बुरा-बुरा बिचार, हत्याहुंण, परई बइरा गेले रळ्योपणो, ब्योबिचार, चोरीहुंण, झुंटी गवई अने निंदा हिटे हे। 20 इज बातहुंण हे जो मनख के असुद्द करे, पण बिना हात धोय जिमणो मनख के असुद्द नी करे।"
कनानी बइरा की नानी अने बायरबादा
(मरकुस ७.२४–३०)
21 ईसु वां से हिटी के सूर अने सेदा का इलाका माय चल्यो ग्यो। 22 अने देखो, उना इलाका की एक कनानी बइरा अई अने हेला पाड़ी के केवा लागी, "हे परभु, दाऊद राजा की सन्तान, म्हार पे दया करजे। म्हारी नानी बुरी तरा से बायरबादा माय अइगी हे।"
23 पण उने उके कंई जुवाब नी द्‍यो। चेलाहुंण उका कने अई के केवा लाग्या, "इके मोकली दे, क्योंके या बेदा करिके हमारा पाछे पड़ी हे।"
24 पण उने उणकासे क्यो, "हूं सिरप इसराइल का घराणा की भुली-भटकी गाडरहुंण कने मोकल्यो हूं।"
25 पण वा अई अने परणाम करिके उकासे केवा लागी, "परभु, म्हारी मदद कर।"
26 ईसु ने उकासे क्यो, "बाळकहुंण का रोटा लई के कुतराहुंण का अगड़े लाखणो अच्छो हयनी।"
27 इका पे उनी बइरा ने क्यो, "हां परभु, पण कुतरा बी तो मालेख की परात को बच्यो ऐंठवाड़ो खाय हे।"
28 तो ईसु ने क्यो, "हे नारी, थारो बिसास बड़ो हे। जसो तू चावे वसोज थारा सरु होय।" उकी नानी उनीज घड़ी नज हुइगी।
ईसु ने नरा के नज कर्‌या
29 सूर अने सेदा का इलाका से चली के ईसु गलील सरवर का कराड़े ग्यो अने वां परबत पे चड़िके बेठी ग्यो। 30 अने घणी बड़ीमेक भीड़ उका कने अई अने वी अपणा गेले पांगळा, लुला, आंदा, गुंगा अने नरा दूसरा लोगहुंण के लई के आया, अने उणके ईसु का पग कने लई के पटकी द्‍या उने उणके नज कर्‌या। 31 इकासरु जदे भीड़ ने देख्यो के गुंगा बोले, लुला नज होय, पांगळा चले अने आंदा देखे हे, तो लोगहुंण ने अचम्बो कर्‌यो अने उणने इसराइल का परमेसर की म्हेमा करी।
चार हज्जार के जिमाड़णो
(मरकुस ८.१–१०)
32 ईसु ने अपणा चेलाहुंण के कने बुलाड़ी के क्यो, "म्हारे भीड़ पे तरस आय हे क्योंके ई लोग तीन दन से म्हारा गेले हे अने इणका कने खावा सरु कइंज नी हे। हूं इणके भूका नी मोकलनों चउं, कंई असो नी होय के वी बाट मेंज बेहोंस हुई जाय।"
33 चेलाहुंण ने उकासे क्यो, "हम इनी सुनी जगा माय असी बड़ी भीड़ के खवाड़वा सरु इतरा जादा रोटा कां से लावांगां?"
34 ईसु ने उणकासे क्यो, "तमारा कने कितरा रोटा हे?"
उणने क्यो, "सात, अने जरासी मच्छीहुंण बी हे।"
35 तो उने भीड़ के जमीन पे बेठवा को हुकम द्‍यो। 36 फेर उने सात रोटाहुंण अने मच्छीहुंण के लई के परमेसर के धन्यबाद द्‍यो अने उणके तोड़्या। अने चेलाहुंण के देणो सुरु कर्‌यो, अने चेलाहुंण ने भीड़ के। 37 वी सगळा खई के धाप्या अने उणने बच्या होया कोळ्‍याहुंण से भर्‌या सात टोपला हजु उठाड़्या। 38 जितरा ने जिम्या उका माय बइरा अने बाळक का अलावा चार हज्जार आदमी था।
39 अबे भीड़ के बिदा करिके उ नाव पे चड़्यो अने मगदन का इलाका माय आयो।