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दान-धरम
1 a "होसियार रो! तम अपणा धरम-न्याव का काम मनख के दिखाड़वा सरु मती करजो, नी तो अपणा सरग पिता परमेसर से कइंज फळ नी पावगा।
2 इकासरु जदे तू दान-धरम करे तो अपणा अगड़े-अगड़े बाजो मती बजवाजे, जसा ढोंगी लोग, सबाहुंण अने सेरीहुंण माय करे हे के लोग उणको मान करे। हूं तमार से सांची-सांची कूं के वी अपणो फळ पूरण रुप से पई चुक्या हे। 3 पण जदे तू दान-धरम करे तो थारो जीवणो हात नी जाणणे पाय के थारो डाबो हात कंई करी र्‌यो हे। 4 जेकासे थारो दान गुपत रे, अने थारो परमेसर पिता जो गुपत माय देखे थारे फळ देगा।
पराथना
(लूका ११.२–४)
5 b जदे तम पराथना करो तो ढोंगीहुंण सरीका नी, क्योंके लोगहुंण के दिखाड़वा सरु पराथनाघरहुंण अने बाट का मोड़हुंण पे उबी के पराथना करनों उणके भाय हे। हूं तमार से खास बात कूं के वी अपणो पूरो फळ पई चुक्या हे। 6 पण जदे तू पराथना करे तो अपणी भित्तरे की कोठड़ी माय जा अने कमांड़ बन्द करिके अपणा परमेसर पिता से जो गुपत माय हे पराथना कर, अने थारो पिता जो गुपत माय देखे थारे फळ देगा।
7 अने जदे तम पराथना करो तो परमेसर के नी जाणणे वाळा सरीका बेकार की बातहुंण घड़ी-घड़ी मती करो, क्योंके वी सोंचे हे के बत्ती बोलवा से उणकी सुणी जायगा। 8 इकासरु उणका सरीका नी बणणो, क्योंके तमारो परमेसर पिता मांगवा से पेलांज तमारी जरुवत के जाणे हे। 9 "तो तम असतरा पराथना करजो:
'हे हमारा परमेसर पिता, तू जो सरग माय हे,
थारो नाम पवित्तर मान्यो जाय।
10 थारो राज आय।
थारी मरजी जसी सरग माय पूरण होवे हे, असीज धरती पे बी पूरण होय।
11 हमारा दन भर का रोटा आजc हमारे दे।
12 अने जसे हमने अपणा कसूरवारहुंण के मांफ कर्‌या
असाज हमारा कसूरहुंण के मांफ कर;
13 अने हमारे अजमाइस माय मती लाख
पण बुरई से बचाड़; क्योंके राज पराकरम अने म्हेमा सदाज थारी रेd। आमीन। '
14 e अगर तम मनख का कसूर मांफ करोगा तो तमारो सरग पिता बी तमारे मांफ करेगा। 15 पण अगर तम मनखहुंण का कसूर मांफ नी करोगा तो तमारो परमेसर पिता बी तमारा कसूर मांफ नी करेगा।
उपास का बारा माय सीख
16 जदे कदी तम उपास करो तो ढोंगीहुंण सरीका उदास नगे मती आवजो, क्योंके वी अपणो मुन्डो कुमळायो होयो राखे जेकासे के मनख के उपासी नगे आय। हूं तमार से खास बात कूं के वी अपणो फळ पई चुक्या। 17 पण तू जदे उपास राखे तो अपणा माथा पे तेल मळ अने मुन्डो धो, 18 जेकासे के तू मनखहुंण के उपासी नगे नी आय, पण अपणा परमेसर पिता के जो गुपत माय हे; अने गुपत माय जो काम करो हो उके देखवा वाळो, थारे इको फळ देगा।
सरग को धन
(लूका १२.३३–३४)
19 f अपणा सरु धरती पे धन भेळो मती करजो, जां किड़ो अने उद्दीहुंण नास करे अने जां चोळ्डो भींत खोदी के चोरी करे। 20 पण अपणा सरु सरग माय धन भेळो करो, जां नी तो किड़ो अने नी उद्दी नास करे अने नीज चोळ्डो खाद दई चोरी करे, 21 क्योंके जां थारो धन हे वांज थारो मन बी लाग्यो रेगा।
काया को उजाळो
(लूका ११.३४–३६)
22 काया को दीयो आंख। इकासरु अगर थारी आंख साफ हे, तो थारी आखी काया माय उजाळो रेगा। 23 पण अगर थारी आंख खराब होय तो थारी आखी काया इन्दारी रेगा। इकासरु जो उजाळो थारा माय हे, अगर उज इन्दारो हे, तो यो इन्दारो कसो डरावणो काळो रेगा!
परमेसर अने धन दोई की सेवा-चाकरी नी करी सको हो
(लूका १६.१३; १२.२२-३१)
24 कईं कोज मनख दो मालेखहुंण की सेवा-चाकरी नी करी सके, क्योंके उ एक से बेर अने दूसरा से परेम राखेगा, या उ एक से मिळ्यो रेगा अने दूसरा के हळ्को जाणेगा। तम परमेसर अने धन दोई की सेवा-चाकरी नी करी सको हो।
25 इनी वजासे हूं तमार से कूं के अपणा पराण सरु यो सांसो मती करजो के हम कंई खावांगां, अने कंई पिवांगा, अने नीज अपणी काया सरु के कंई पेरांगां। कंई पराण भोजन से अने काया लतरा से बड़ी के हयनी? 26 असमान का पखेरुहुंण के देखो के वी नी तो बोय, नी काटे अने नीज खळाहुंण माय भेळा करे, फेर बी तमारो सरग पिता उणके खवाड़े हे। कंई तमारो मोल उणकासे बड़ी के हयनी? 27 तमारा माय से असो कुंण जो सांसो करिके अपणी उमर की एक घड़ी बी बड़ई सकेg?
28 लतरा सरु तम कायलेणे सांसो करो? मांळ का फूलहुंण के देखो के वी कसे बदे! वी नी तो म्हेनत करे अने नी काते, 29 h फेर बी हूं तमार से कूं के तमारो जूनो सुलेमान राजो बी, अपणा आखा वेभव माय उणका माय से एक का सरीका बी लतरा पेर्‌यो होयो नी थो। 30 इकासरु अगर परमेसर मांळ की घांस के जो आज हे अने काल भाड़ माय झोंकी लाखेगा, असतरा सजावे, तो हे कमबिसासिहुंण, उ तमारे कायसरु नी पेरायगा?
31 इकासरु या कई के बिचार मती करजो के हम कंई खावांगां? या 'कंई पिवांगा? अने कंई पेरांगां?' 32 क्योंके जो परमेसर के नी माने हे वी बड़ा जतन से इनी सगळी चीजहुंण की हेर माय रे, पण तमारो सरग पिता जाणे हे के तमारे इनी सगळी चीजहुंण की जरुवत हे। 33 पण तम पेलां परमेसर का राज अने उका धरम-न्याव का ढुंडवा माय लाग्या रो तो ई सगळी चीजहुंण तमारे दई दी जायगा। 34 इकासरु काल को बिचार मती करजो, क्योंके काल को दन अपणो बिचार खुद करी लेगा। आज का सरु आज कोज दुःख नरो हे।