3
यूहन्‍ना द्वारा यीशुक अयबाक लेल तैयारी
(मरकुस 1.1-8; लूका 3.1-18; यूहन्‍ना 1.19-28)
1 ओहि समय मे बपतिस्‍मा देनिहार यूहन्‍ना यहूदिया प्रदेशक निर्जन क्षेत्र मे आबि प्रचार करऽ लगलाह जे, 2 “अपना पापक लेल पश्‍चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू, कारण, स्‍वर्गक राज्‍य लग आबि गेल अछि।” 3 यूहन्‍ना वैह व्‍यक्‍ति छथि जिनका सम्‍बन्‍ध मे परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता यशायाह कहने छलाह,
“निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि—
‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू,
हुनका लेल सोझ बाट बनाउ।’ ”a
4 यूहन्‍ना ऊँटक रोंइयाँ सँ बनल वस्‍त्र पहिरैत छलाह। ओ डाँड़ मे चमड़ाक पट्टी बन्‍हने रहैत छलाह। फनिगा आ वन वला मधु हुनकर भोजन छलनि। 5 यरूशलेम, सम्‍पूर्ण यहूदिया प्रदेश, आ यरदन नदीक लग-पास मे पड़ऽ वला सम्‍पूर्ण क्षेत्रक लोक सभ हुनका लग आयल, 6 और अपन पाप स्‍वीकार करैत यरदन नदी मे हुनका सँ बपतिस्‍मा लेलक।
7 मुदा जखन यूहन्‍ना बहुतो फरिसी आ सदुकी पंथक लोक सभ केँ बपतिस्‍मा लेबाक लेल अपना लग अबैत देखलनि तँ ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हे साँपक सन्‍तान सभ, तोरा सभ केँ परमेश्‍वरक आबऽ वला क्रोध सँ बचबाक लेल के सिखौलकह? 8 तोँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्‍चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तँ तकर प्रमाण अपना व्‍यवहार द्वारा देखाबह। 9 और अपना मोन मे एना सोचि निश्‍चिन्‍त नहि रहह जे, हमर सभक कुल-पिता अब्राहम छथि, कारण, हम तोरा सभ केँ कहि दैत छिअह जे, परमेश्‍वर एहि पाथर सभ मे सँ अब्राहमक लेल सन्‍तान उत्‍पन्‍न कऽ सकैत छथि। 10 गाछक जड़ि पर कुड़हरि रखा गेल अछि। प्रत्‍येक गाछ जे नीक फल नहि दैत अछि से काटल आ आगि मे फेकल जायत।
11 “तोँ सभ अपना पापक लेल पश्‍चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तकर चिन्‍ह स्‍वरूप हम तोरा सभ केँ पानि सँ बपतिस्‍मा दैत छिअह, मुदा हमरा बाद मे एक गोटे आबि रहल छथि जे हमरा सँ शक्‍तिशाली छथि। हम हुनकर जुत्तो उठाबऽ जोगरक नहि छियनि। ओ तोरा सभ केँ पवित्र आत्‍मा और आगि सँ बपतिस्‍मा देथुन। 12 हुनका हाथ मे सूप छनि। ओ अपन खरिहानक अन्‍न साफ करताह और गहुम केँ बखारी मे जमा करताह, मुदा भुस्‍सा केँ ओ ओहि आगि मे जरौताह जे कहियो नहि मिझायत।”
यीशुक बपतिस्‍मा
(मरकुस 1.9-11; लूका 3.21-22)
13 तखन यीशु यूहन्‍ना सँ बपतिस्‍मा लेबाक लेल गलील सँ यरदन नदी लग अयलाह। 14 मुदा यूहन्‍ना ई कहि कऽ हुनका रोकलथिन जे, “हमरा अहीं सँ बपतिस्‍मा लेबाक आवश्‍यकता अछि, और की, अहाँ हमरा सँ लेबाक लेल आयल छी?” 15 यीशु उत्तर देलथिन, “एखन एहिना होमऽ दिअ, कारण, अपना सभक लेल यैह उचित अछि जे एही तरहेँ धार्मिकताक सभ माँग केँ पूरा करी।” तखन यूहन्‍ना हुनकर बात मानि लेलथिन। 16 बपतिस्‍मा लेलाक बाद यीशु तुरत पानि सँ बाहर अयलाह। ओही क्षण मे आकाश खुजल और ओ परमेश्‍वरक आत्‍मा केँ परबाक रूप मे अपना पर उतरैत देखलनि। 17 तखने स्‍वर्ग सँ ई आवाज सुनाइ पड़ल, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि, हिनका सँ हम बहुत प्रसन्‍न छी।”