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मृत्यु को पराजित करना
1 विश्राम-दिवस समाप्त होने पर मरियम मगदलीनी, जयकब की माता मरियम, और शलोमी ने खुशबूदार मसालेa खुशबूदार मसाले मसालों का प्रयोग मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए नहीं किया जाता था, परन्तु यह प्रेम का प्रतीक था; और शरीर में दुर्गन्ध आने से रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता था । मोल लिए कि प्रभु येशु के शरीर पर उनको लगाए । 2 सप्ताह के पहले दिन, बड़े सबेरे जब कि सूर्य उदय ही हुआ था, वे कबर पर आईं । 3 वे आपस में कह रही थीं, “हमारे लिए कबर के दरवाज़े पर से पत्थर कौन लुढ़काएगा?” 4 पर जब उन्होंने ऊपर आँखे की तो देखा कि पत्थर हटा हुआ है । यह पत्थर बहुत बड़ा था ।
5 कबर के अन्दर आने पर उन्होंने देखा कि सफेद कपड़े पहिने हुए एक युवक दाहिनी ओर बैठा है । वे घबरा गईं । 6 पर उस युवक ने उनसे कहा, “घबराओ मत । तुम नासरत-निवासी प्रभु येशु को ढूंढ़ रही हो जो सूली पर चढ़ाए गए थे । वह यहां नहीं हैं । वह जीवित हो गए हैं । देखो यह स्थान, जहां लोगों ने उनको रखा था । 7 परन्तु जाओ और उनके शिष्यों और पतरस से कहो, ‘वह तुमसे पहले गलील प्रदेश को जा रहे हैं । वहां तुम उनके दर्शन करोगे, जैसा उन्होंने कहा था ।’ ”
8 वे कबर से निकल कर भागीं; क्योंकि वे डर से कांप रही थीं और हैरान थीं ।
उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा; क्योंकि वे डर गई थींb क्योंकि वे डर गई थीं कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में मरकुस की पुस्तक को यहाँ पर समाप्त किया गया है । दूसरी हस्तलिपियों में पद 9-20 को भी शामिल किया गया है । ।
मरियम मगदलीनी को दर्शन
9 [सप्ताह के पहले दिन, सुबह जी उठने पर प्रभु येशु ने सबसे पहले मरियम मगदलीनी को दर्शन दिया, जिसमें से उन्होंने सात दुष्ट आत्माएं निकाली थीं । 10 मरियम मगदलीनी ने जाकर यह समाचार उनके साथियों को सुनाया जो दुःख में डूबे हुए थे और रो रहे थे । 11 जब उन्होंने सुना कि प्रभु येशु जीवित हैं और उसे दर्शन दिया है तब उन्होंने विश्वास नहीं किया ।
दो शिष्यों को दर्शन
12 इसके बाद उनमें से दो शिष्य किसी गांव की ओर चले जा रहे थे (उन्होंने पहले प्रभु येशु को नहीं पहचाना क्योंकि वह थोड़ा अलग दिख रहे थे) । 13 उन्होंने लौट कर बाकी साथियों को बताया, परन्तु फिर भी उन्हें विश्वास नहीं हुआ ।
अन्तिम संदेश
14 इसके बाद ग्यारह प्रेषित शिष्यों के भोजन करते समय प्रभु येशु ने दर्शन दिया और उनके अविश्वास और मन की कठोरता पर उन्हें डांटकर कहा, “जिन्होंने मुझे जीवित देखा, उनका भी तुमने विश्वास नहीं किया ।”
15 तब उनसे कहा, “सारे संसार में जाओ और पूरी सृष्टि को मेरा शुभ संदेश सुनाओ । 16 जो व्यक्ति विश्वास करेगा और जल दीक्षा लेगा, उसकों मोक्ष मिलेगा, परन्तु जो व्यक्ति विश्वास नहीं करेगा, वह दोषी ठहरेगा । 17 विश्वास करने वालों को शक्ति प्राप्त होगी और वे ये चिन्ह दिखाएंगे: वे मेरे नाम से दुष्ट आत्माओं को निकालेंगे, नई-नई भाषा बोलेंगे, 18 सांपों को [हाथ से] उठा लेंगे, और यदि वे विष पान कर लें तो भी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे और बीमार ठीक हो जाएंगे ।”
प्रभु येशु का परमधाम प्रस्थान
19 प्रभु [येशु] उनसे बातें करने के बाद ऊपर परमधाम में उठा लिए गए और परमात्मा की दाहिनी ओर बैठ गए । 20 तब शिष्य बाहर जाकर सब जगह प्रचार करने लगे । प्रभु येशु उनके साथ कार्य करते रहे और चिन्हों द्वारा जो हो रहे थे, शुभ-संदेश के प्रचार को सत्य प्रमाणित करते रहे ।]
a16:1 खुशबूदार मसाले मसालों का प्रयोग मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए नहीं किया जाता था, परन्तु यह प्रेम का प्रतीक था; और शरीर में दुर्गन्ध आने से रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता था ।
b16:8 क्योंकि वे डर गई थीं कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में मरकुस की पुस्तक को यहाँ पर समाप्त किया गया है । दूसरी हस्तलिपियों में पद 9-20 को भी शामिल किया गया है ।