13
मन्दिर के विनाश की भविष्यवाणी
1 जब प्रभु येशु मन्दिर से निकल रहे थे तब उनके शिष्यों में से एक ने उनसे कहा, “गुरुजी, देखिए, कैसे बड़े-बड़े पत्थर और कैसे भव्य भवनa कैसे भव्य भवन इतिहासकार जोसिफस और तकितुस के अनुसार यरूशलेम के सुन्दर और भव्य मंदिरों की प्रशंसा पूरे रोमन साम्राज्य में होती थी । हैं!”
2 प्रभु येशु ने कहा, “तुम इन विशाल भवनों को देख रहे हो न! यहां पत्थर पर पत्थर भी न बचेगा और सब ढा दिया जाएगा ।”b ढा दिया जाएगा यह महान मन्दिर 70 ई० में ढा दिया गया था, जैसा की प्रभु येशु ने भविष्यवाणी की थी ।
3 जब प्रभु येशु मन्दिर के सामने जैतून पहाड़ पर बैठे हुए थे तब पतरस, जयकब, योहन और अन्द्रियास ने एकान्त में उनसे पूछा, 4 “हमें बताइए कि ये घटनाएं कब होंगी? और जब ये सब बातें पूरी होने पर हों तो इनका चिह्न क्या होगा?”
5 प्रभु येशु ने कहा, “सावधान! कोई तुम्हें धोखा न दे । 6 अनेक व्यक्ति मेरे नाम से आएंगे और यह कह कर कि ‘मैं ही मसीहा हूं’ और बहूत लोगों को बहका देंगे । 7 जब युद्ध की चर्चा और युद्ध के बारे में अफवाहें सुनो तो डरना मत । ये घटनाएं होना अनिवार्य है, पर अन्त अभी दूर होगा । 8 देश-देश के विरुद्ध और राज्य-राज्य के विरुद्ध उठ खड़े होंगे । अनेक देशों में भूकम्प आएंगे और अकाल पड़ेंगे । ये घटनाएं मानो प्रसव-पीड़ा [और कठिनाइयों] की शुरुआत मात्र होंगी ।
9 “अपने बारे में सावधान रहो : लोग तुम्हें धर्मसभाओं को सौंप देंगे, सत्संग भवनों में पीटेंगे और मेरे कारण शासकों और राजाओं के सामने खड़ा करेंगे कि तुम उनको गवाही दो । 10 परन्तु पहले सब देश, भाषा और संस्कृतियों में शुभ संदेश का सुनाया जाना अनिवार्य है । 11 जब वे तुम्हें अदालत को सौंपने के लिए ले जाएं तब पहले से चिन्ता न करना, ‘हम क्या कहेंगे?’ समय आने पर जो कुछ तुम्हें बोलने को दिया जाए, वह बोलना; क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं परन्तु दिव्य आत्मा होगा ।
12 “भाई भाई को और पिता पुत्र को मृत्यु के लिए सौंप देगा । सन्तान अपने माता पिता के विरुद्ध उठ खड़ी होगी और उन्हें मरवा डालेगी । 13 मेरे नाम के कारण सब तुमसे नफ़रत करेंगे; परन्तु जो व्यक्ति अन्त तक विश्वास में स्थिर रहेगा, वह मोक्ष पाएगा ।
महासंकट
14 “जब तुम ‘विनाशकारी अपवित्र चीज़’c विनाशकारी घृणित चीज़ यह सन्दर्भ दानिएल 9:27, 11:21 ईश-प्रवक्ता दानिएल की पुस्तक में है और लुका 21: 20 और मत्ती 24:15 में भी इसका वर्णन है । एक मत के लोग समझते है की यह “विनाशकारी अपवित्र चीज़” विदेशी रोमी सेना है जिसने यरूशलेम नगर पर लगभग 35 साल के बाद (66-70 ई० में) आक्रमण किया और वहां के सबसे महत्वपूर्ण यहूदी मंदिर को नष्ट कर दिया । दूसरे मत के लोग इसे और दिव्य प्रकाशन 13,14 को भविष्यवाणी मानते है जो अभी तक नहीं घटी है । को वहां खड़ा हुआ देखो जहां उसे नहीं होना चाहिए ।” (पाठक इसे समझे!) । “तो जो यहूदा प्रदेश में हैं, वे पहाड़ो पर भाग जाएं । 15 जो छत पर है, वह नीचे न उतरे और न कोई चीज़ लेने के लिए अपने घर में प्रवेश करे; 16 जो खेत में है, वह अपने कपड़े लेने के लिए पीछे न लौटे । 17 शोक उन स्त्रियों के लिए जो उन दिनों गर्भवती होंगी या जिन्होंने बच्चों को जन्म दिया होगा । 18 प्रार्थना करो कि [तुम्हारा निकलना] ठन्डे मौसम में न हों; 19 क्योंकि उन दिनों ऐसी दुःख पीड़ा होगी जैसी परमात्मा के द्वारा रची गई सृष्टि के आरम्भ से अब तक न कभी हुई है और न कभी होगी । 20 यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटाया न होता तो कोई प्राणी बचने न पाता, परन्तु उसने अपने मनोनीत लोगों के लिए — जिनको उसने चुन लिया है — उन दिनों की संख्या घटा दी है ।
21 “तब यदि कोई तुमसे कहे, ‘देखो मसीहा यहां है,’ या ‘वहां है’ तो विश्वास न करना, 22 क्योंकि झूठे राजा और झूठे प्रवक्ता उठ खड़े होंगे और चिह्न और चमत्कार दिखायेंगे कि यदि सम्भव हो तो मनोनीत लोगों को बहका दें । 23 किन्तु तुम सावधान रहना; मैंने पहले ही तुम्हें सब कुछ बता दिया ।
तेजस्वी मानव-पुत्र का पुनरागमन
24 “परन्तु उन दिनों इस पीड़ा के बाद ‘सूर्य अन्धकारमय हो जाएगा, चन्द्रमा अपना प्रकाश नहीं देगा, 25 आकाश से तारे गिरने लगेंगे और अन्तरिक्ष की शक्तियां हिल जाएंगी’ यशायाह 13:10, 34:4, योएल 2:10 ।
26 तब वे तेजस्वी मानव-पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों में आता हुआ देखेंगे दानिएल 7:13 । 27 वह अपने दूतों को भेजकर, पृथ्वी के छोर से आकाश के छोर तक, चारों दिशओं से अपने चुने हुए लोगों को इकट्ठा करेगा ।
अंजीर वृक्ष का उदाहरण
28 “अंजीर के पेड़ से यह सीखो । ज्यों ही उसकी शाखाएं कोमल हुईं और उसमें पत्ते निकले, तुम जान लेते हो कि गर्मी का मौसम नज़दीक है । 29 इसी प्रकार जब तुम ये घटनाएं होते देखो तो जान लेना कि तेजस्वी मानव-पुत्र नज़दीक है, परन्तु दरवाज़े पर है । 30 मैं तुमसे सच कहता हूं: जब तक ये सब बातें न हो जाएं, इस पीढ़ी का अन्त न होगा । 31 आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, पर मेरे वचन कभी नहीं टलेंगे ।
32 “परन्तु उस दिन और उस घड़ी के विषय में पिता परमात्मा के अलावा और कोई नहीं जानता, न ईश -दूत और न पु़त्र । 33 सावधान, जागते रहो [और प्रार्थना करते रहो]; क्योंकि तुम्हें पता नहीं कि वह समय कब आएगा ।
34 “मानो कोई मनुष्य विदेश जाते समय अपने घर की ज़िम्मेदारी अपने सेवकों के हाथ में सौंप जाए; और हर एक सेवक को उसका काम बता जाए और चौकीदार को आज्ञा दे जाए कि वह जागता रहे । 35 इसलिए तुम जागते रहो; क्योंकि पता नहीं कि घर का मालिक कब आएगा – शाम के समय, आधी रात को, मुरगे के बांग देते समय या सुबह । 36 ऐसा न हो कि वह अचानक आ जाए और तुम्हें सोता हुआ पाए । 37 जो मैं तुमसे कहता हूं: वही सबसे कहता हूं: ‘जागते रहो ।”
a13:1 कैसे भव्य भवन इतिहासकार जोसिफस और तकितुस के अनुसार यरूशलेम के सुन्दर और भव्य मंदिरों की प्रशंसा पूरे रोमन साम्राज्य में होती थी ।
b13:2 ढा दिया जाएगा यह महान मन्दिर 70 ई० में ढा दिया गया था, जैसा की प्रभु येशु ने भविष्यवाणी की थी ।
c13:14 विनाशकारी घृणित चीज़ यह सन्दर्भ दानिएल 9:27, 11:21 ईश-प्रवक्ता दानिएल की पुस्तक में है और लुका 21: 20 और मत्ती 24:15 में भी इसका वर्णन है । एक मत के लोग समझते है की यह “विनाशकारी अपवित्र चीज़” विदेशी रोमी सेना है जिसने यरूशलेम नगर पर लगभग 35 साल के बाद (66-70 ई० में) आक्रमण किया और वहां के सबसे महत्वपूर्ण यहूदी मंदिर को नष्ट कर दिया । दूसरे मत के लोग इसे और दिव्य प्रकाशन 13,14 को भविष्यवाणी मानते है जो अभी तक नहीं घटी है ।
13:25 यशायाह 13:10, 34:4, योएल 2:10
13:26 दानिएल 7:13