बदली जन्दगी
4
1 अस्यान जद मसी काया मं होर दुख उठायो छो, तो थे बी बी मनसा न्अ हथियार की जस्यान धारण करो, क्युं क ज्यो काया मं दुख उठायो वो पापा सुं छूटग्यो। 2 जिसुं अब आग्अ सुं वो खुदकी जन्दगी काया की जन्दगी की लालसा की जस्यान कोन, पण परमेसर की मनसा की जस्यान गुजारो। 3 क्युं क गेरजात्या की मनसा की जस्यान काम करबो, भोग-बिलास की बरी लालसा, नसोपत्तो, रंगरेळ्या, दारू पीबो, अर मुरतीपुजा करबा मं पेल्यां ज्यो बगत खराब कर्या बोई खुब छ। 4 इसुं वे हेरान होव्अ छ, क थे अस्यान का जोरका भोग-बिलास मं बाको साथ कोन देवो, जिसुं वे थान्अ भलो-बुरो खेव्अ छ। 5 पण वे बीन्अ लेखो देव्अला, ज्यो जीवता अर मरया दोन्या को न्याय करबा बेई त्यार छ। 6 क्युं क मरेड़ा न्अ बी चोखो समचार ई ताणी सुणायो गियो क काया मं तो मनखा की जस्यान बाको न्याय होव्अ, पण आत्मा मं परमेसर की जस्यान जीवता रेव्अ।
परमेसर का भला कोठ्‍यारी
7 वा बगत सांकड्अ छ जद्‍या सबळी सृष्टी खतम हो जाव्अली, जिसुं थे खुद प्अ काबु रांखर परातना बेई साउचेत रेवो। 8 सबसुं बड़ी बात या छ क एक-दूसरा सुं खुब परेम रांखो, क्युं क परेम घणा पापा न्अ ढक देव्अ छ। 9 बना बड़बड़ायां एक-दूसरा की आवभगत करो। 10 जीन्अ ज्यो बरदान मल्यो छ, वो बीन्अ परमेसर की केई तरा की मेरबान्या का भला मुनीम की जस्यान एक-दूसरा की सेवा मं लगाव्अ। 11 कोई बोल्अ, तो अस्यान बोल्अ, जाण्अ परमेसर को बचन छ। अर ज्यो कोई सेवा करअ तोबी जोरसुं करअ ज्यो परमेसर देव्अ छ, जिसुं सबळी बाता मं ईसु मसी क जरिये परमेसर की मेमा साम्अ आव्अ। महमा अर राज जुगजुग बीको ही छ। आमीन।
मसी का दुखा मं सीरी हबो
12 ह प्यारा भायलाओ, थान्अ परखबा क ताणी थाम्अ ज्यो दुख की आग लागी छ, या समझर बीसुं हेरान मत होवो क कोई नुवादी बात थां माळ्अ बीतरी छ। 13 पण जस्यान-जस्यान मसी का दुखा मं सीरी होवो छो, आण्द करो, जिसुं बीकी मेमा परकट होबा की बगत बी थे आण्द करो अर राजी होवो। 14 फेर मसी का नांऊ क ताणी थांप्अ लान्छण लगायो जाव्अ छ, तो थे धनै छो, क्युं क मेमा की आत्मा, ज्यो परमेसर की आत्मा छ, थाम्अ रेव्अ छ। 15 थाम्अ सुं कोई मनख हत्यारो, चोर, खोटा काम करबाळो, पराया काम मं हाथ लगाबा सुं दुख कोन पाव्अ। 16 पण मसी का होबा की बजेसुं दुख पाव्अ तो सरमिन्दा मत होवो, पण ई बात क ताणी तो परमेसर की मेमा करो। 17 क्युं क बा बगत आगी, क पेली परमेसर का मनखा को न्याय होव्अ, अर जद न्याय आपसुं ही सुरू होव्अलो तो बांको अन्त कांई होव्अलो ज्यो परमेसर का चोखा समचार न्अ कोन मान्अ? 18 अर सास्तर खेव्अ छ क, “अर ज्यो धर्मी मनख ही मुस्कल सुं उद्धार पाव्अलो, तो बेबस्वासी अर पाप्या को कांई ठकाणो?”
19 जिसुं ज्यो परमेसर की मनसा सुं दुख उठाव्अ छ, ब भलाई करता होया, अपणा-अपणा जीव न्अ बस्वासहाळा, सरजनहार का हाथा मं सुंप देव्अ।