जीवता भाटा अर पवितर परजा
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1 अस्यान सब तरा का बेरभाव, छळ, कपट, बळ्यामरबो अर बराई न्अ आंतरअ करर, 2 नया जनम्या छोरा की जस्यान पवितर आत्मिक दूध की मन्सा राखो, जिसुं थे बीका उद्धार मं बढ़ता जावो। 3 क्युं क जस्यान पवितर सास्तर मं मण्ढर्यो छ क, “अब थे परबु की दीया को स्वाद चाख लिया।”
4 ईसु मसी कन्अ आवो। जीन्अ मनख तो बनाकाम को ठेराया छा, पण परमेसर क सांकड्अ टाळेड़ो अर अनमोल जीवतो भाटो छ, 5 थेबी बीक्अ सांकड्अ आर जीवता भाटा की जस्यान आत्मिक घर बणता जारया छो, जिसुं परमेसर का मन्दर मं सेवा करबाळा को समाज बणर, अस्यान का आत्मिक बलिदान चढ़ावो, ज्यो ईसु मसी क जरीये परमेसर न्अ चढ़ाया जाबा जस्यानका छ। 6 जस्यान सास्तर खेव्अ छ, “सुणो, म सिय्योन नगरीa मं कुणा को छाटेड़ो अर अनमोल भाटोb मेलूं छु अर ज्यो कोई बीप्अ बस्वास करअलो, वो कस्यान बी सरमिन्दा कोन्अ होव्अलो।”
7 थां बस्वास करबाळा बेई वो भाटो अनमोल छ, पण ज्यो बस्वास कोन करअ बाक्अ ताणी “जी भाटा न्अ राजमस्त्री बनाकाम को ठेराया छा, बोई कुणा को भाटो बणग्यो।”
8 अर “टीस लागबा को भाटो अर ठोकर लागबा को डुंगर होग्यो।” क्युं क वे तो बचन न्अ कोन मानर ठोकर खाव्अ छ, अर बान्अ ईक्अ ताणी ठेराया छा।
9 cपण थे एक टाळेड़ो बंस, परमेसर का मन्दर मं सेवा करबाळा राज करमचार्या को समाज, अर पवितर मनख, परमेसर की परजा छो, थान्अ अन्धेरा मंसुं अदभुत उजाळा मं जिसुं बलायो गियो छ क थे बीका गुणा न्अ दखावो। 10 थे पेली तो कांई बी कोन्अ छा, पण अब परमेसर की परजा छो, थां माळ्अ दीया कोन्अ होई छी पण अब थां माळ्अ दीया होई छ।
11 हे म्हारा प्यारा भायलाओ, मं थासुं अरदास करू छु, क थे खुदन्अ परदेसी अर मुसाफिर जाणर संसार की बां लालसा सुं ज्यो आत्मा सुं लड़ाई करअ छ, बचर रेवो। 12 गेरजात्या मं थांको चाल-चलण चोखो होव्अ, ज्यां बाता मं वे थान्अ खोटा काम करबाळा जाणर बदनाम करअ छ। वे थांका भला कामा न्अ देखर परमेसर का आबा का दन मं परमेसर की महमा करअ।
परमेसर की सेवा करबाळा
13 परबु क ताणी, मनखा का खन्दायेड़ा सबळा बेवस्था करबाळा अधिकारयां को खियो मानो। राजा को खियो जिसुं मानो क्युं क वो सबको प्रधान छ। 14 न्याय करबाळा को खियो मानो क्युं क वो खोटा काम करबाळा न्अ सजा अर चोखा करम करबाळा की बड़ाई क ताणी खन्दायेड़ा छ। 15 क्युं क परमेसर की मनसा या छ क थे भला कामा सुं मुरखा की फालतु बाता न्अ बंद करद्‍यो। 16 खुदन्अ आजाद समझो, पण खुदकी ई आजादी न्अ बराई की आड़ मत बणाओ, पण खुदन्अ परमेसर की सेवा करबाळा जाणर चालो। 17 सबको आदरमान करो, बस्वास्या सुं परेम करो, परमेसर को ड़र मान करो, राजा को आदरमान करो।
मसी का दुखा को उदारण
18 ह सेवा करबाळाओ, सबळा डर-भय सुं थांका मालिका को आदरमान करो, खाली बाको'ई नही ज्यो भला अर सीधा छ, पण बाको बी ज्यो कठोर छ। 19 क्युं क कोई परमेसर का बारा मं सोचर दुख उठा'र अन्याय न्अ सेहन करअ छ तो यो सुहावणो छ। 20 अर ज्यो थे खोटा काम कर लात-घूंसा खार थावस रांक्या, तो इम्अ बड़ाई की कांई बात छ? पण थे भला काम करर दुख उठावो छो अर थावस रांखो छो, तो यो परमेसर न्अ भाव्अ छ। 21 अर थे ई ताणी ही बलायेड़ा छो, क्युं क मसी बी थांक्अ ताणी दुख उठा'र एक उदारण दियो छ, क थे बी बीका पगा माळ्अ चालो। 22 वो न्अ तो पाप कर्यो, न्अ बीका मूंडा सुं कोई झूंटी बात नखळी। 23 वो गाळी सुणर गाळी कोन्अ दियो अर दुख उठा'र कोई न्अ धमकाव्अ कोन्अ छो, पण वो खुदन्अ सांचा न्याय करबाळा का हाथा मं सुंप्अ छो। 24 वो खुद ही आपणा पापा न्अ खुदकी काया माळ्अ लेर करूस माळ्अ चढ़ग्यो, जिसुं आपा पापा क ताणी मरर धरम क ताणी जन्दगी बितावां, बीका मार खाबा सुं थे नीका होग्या। 25 क्युं क थे पेली गुमेड़ी लळ्ड़यां की जस्यान छा, पण अब खुदका जीव का रुखाळा अर गुवाळ कन्अ पाछा आग्या।