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मांतर ये सुरता सोंगाव की सरासरी दिने मशकुल समेया आयसी। 2 कसन की मुनूक मतलबी, लोभ करू, डींगमारू, आप मनेया, निंदा करू, आया बुआर गोटा के ना धरबा लोक, कृतघ्न , अ पवितर 3 दया ना करू, माफी ना देउ, दोष लगायबा लोक, संयम ना सोंगायबा लोक, एकटा, अच्छा र ना चाउ, 4 विश्वास के घात करू, टेढ़ा, घमण्डाहा, आवरी माहापरभुर नाई मांतर सुखबिलास के ची चायबा लोक होयला। 5 हांयमन भक्ति र भेश तो धरबाय, मांतर हांतार ताकत के ना मानबाय ; असन मन ले अन्जान राहा। 6 ई मन ले हांय लोक आत जोन घर मन ने खुसखुसा भीतरे आउआत, आवरी हांय बल नोयला बायले मन के बस ने करूआत जोन पाप मन ले दबला आत आवरी सबू परकार र अभिलाषार बस ने आचेत, 7 आवरी सबू दाय सीखते तो रउआत मांतीर सतर पईचान लगले केबीना पउचेत। 8 जसन यन्नेस आवरी यम्बे्रस मुसा र बिरूद करी रये, असनी ची ए बले सतर बिरूद करूआत ; ए मन असन मुनूक आत; जांहार बुधि बिकरला आचे आवरी हांयमन विश्वास र बारे ने काई काम र नु आत। 9 मांतर हांय मन एतार ले छोमे ना आय के सकेत ; कसन की जसन तिकर गिआन नोयबाटा सबू मुनूक मन ने छोमे आसी रला; असनी ची इकर बले होयसी। 10 मांतर तुय उपदेशद्व चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशील, मया, धीरजा, आवरी कन्दराय होयबा, आवरी दुख पायबा ने मोर मदत करलीस ; 11 आवरी असन दुख मन ने बले जोन अन्ताकिया आवरी इकुनियुस आवरी लुस्त्रा ने मोर उपरे पड़ी रलाय, आवरी दूसरा दुख मन ने बले जोन मय उठायली आची, मांतर परभु मोके हांय सबुले मोके छाड़ायला। 12 मांतर जोन मसीह ने भक्ति संगे जीवना जीयबार चायबा आत हाय सबू। सताय होयबाय ; 13 मांतर दुष्ट आवरी बहकायबा लोक धोखा देयते आवरी धोखा खायते, नश्ते जीबाय। 14 मांतर तय हाय गोट मन ने जोन तुय सीखली आस आवरी विश्वास करली आस ; ये जानी करी एक मन ने रा की तुय हांय मनके कोन लोक मनले सीकली आस ; 15 आवरी पिला दायले पवितर शासतर तोर जानलारा आय, जोन तोके मसीह ने विश्वास करले उधार पायबा काचे बुधि पिता बनाय के सके। 16 सबू पवितर शासतर माहापरभुर मया ले रचला आत आवरी उपदेश, आवरी समझायवा ने, आवरी सुधरायबा ने, आवरी धरम र गियान काचे लाभदायक आय; 17 कसन की माहापरभुर लोक सिद्ध बनोत; आवरी सबू के सबू अच्छा काम काचे छोमे होई जाओत।