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आवरी हांय डोंगा ने चेगी करी हांय पात गला, आपनार गाव ने आयला | 2 आवरी दका कतक लोक लकवार गोटक बिमारी के खट्या ने संगाय करी हातार लगे आनलाय | यीशु तार विश्वास के दकी करी हांय लकवार बीमार के बोलला, हे बेटा, बरसक हो; तोर पाप छमा होयला | 3 ऐ गोट ने कतक शास्त्री मन विचार करलाय,ए तो मापरूर निंदा करुआय | 4 यीशु तीकर मनर गोट के जानी करी बलला, तमि अपना अपना मन ने गलत विचार काय काचे करबा आचास ? 5 सरल काय आय ? ए बलबाके तोर पाप छमा होयला ; आवरी ए बलबार उठ आवरी हिंडा बुला हो | 6 मातर एतार काचे जाना की मुनुकर बेटा के संसार ने पाप छमा करबार अधिकार आचे | तेबे हांय लकवार बीमार के बलला, उठ, तोर खटिया के उठाव आवरी तोर घरे जा | 7 उठी करी तार घरे गला | 8 लोक एके दकी करी डरलाय आवरी माहपरभुर बड़ाई करलायजोन माने के असन अधिकार देला आचे | 9 हांय थान ले आगे बड़ी करी यीशु मती नामर मुनुक के मह्सुलर चौकीने बसलार दकला आवरी ताके बलला, मोर पीटी बाटे आसा हांय उठी करी तार पिटी बाटे गला | 10 जड़ दाय हांय घरे भात खायबा काचे बसला तेबे खुबे महसूल धरबा लोक आवरी पापी आई करी यीशु आवरी तार चेला संगे खायके बसलाय | 11 ए दकी करी फरेसी मन तार चेला मन के बलला,तोर गुरु महसूल धरबा लोक आवरी पापी मन संगे कसं आयसी आचे ? 12 ऐ सुनी करी यीशु तीके बलला, बैध भला चंगा लोक काचे नाई मातर बीमार काचे जरुरी आय | 13 ऐ काचे तमी जाई करी तार अरथ सिखी राहा: मय बलिदान नाई मातर दया आची | कसन की मय धरमी लोक के नाई मातर पापी मन के हाग देबा काचे आयली आची | 14 तेबे यूहनार चेला मन तार लगे आई करी बलला, काय गोट आय की हामी आवरी फरीसी अतक उपास करुआव, मातर तार चेला उपास ना करेत ? 15 यीशु तीके बलला, काय बाराती जड़क दाय ले दुल्हातीकर संगे आचे, दुःख होयके सकेत ? मातर हांय दीन आयसी दुल्हा तीकर ले अलग करबाय, हांय समय ने हांय मन उपास करबाय | 16 सादा फटईर काप जुना फटिही ने कोनी ना लगायेत, कसन बलले हांय काप हांय फटई ले काई आउर झिकुआय, आउर हांय अदीक पाटू आय | 17 आवरी लोक नुआ दाखरस जुना हांडी ने ना भरेत, कसंन की असन करले हांडी फूटी जायसी आवरी गच रस बाहरे जायसी आउर हांडी फुटसी ;मातर नुआ गच रस के नुआ हांडी ने भरुआत आवरी हांय दुनो बाची करी रहुआत | 18 हांय ताके ताके ऐ गोट सागते ची रये की, दका गोटक सरदार आई करी ताके पाय पड़ला आउर बलला, मोर बेटी ऐबे ना मरला आचे मातर हीन्डी करी आपनार हाथ के सोंगाव तेबे हांय जीयसी | 19 यीशु उठी करी अपना चेला मन संगे हातार पीटी बाटे होयला | 20 आउर दका गोटक बायले जाके बारा बरस ले लहू निकरबा बीमार रये पीटी बाटले आई करी तार आचल के छीयला | 21 कसन बलले हांय तार मन ने बलते रला अगर मय तार आचल के छियली आले अच्छा होयबी | 22 २२; यीशु उलटी करी दकला आउर बलला, बेटी बरकस हो';तोर बिसबाव तोके चंगा करला आचे |आवरी हांय बायले अड़की दाय अच्छा होयला | 23 जड़क दाय यीशु हांय सरदार घरे पोचला आउर बाउसी बजाय बा लोक के आउरभीड के कोलार होयबा टा के दकला, 24 तेबे बलला, गूचा टोकी ना मरला आचे मातर सोयला आचे | हांय गोट ने हासलाय | 25 मातर जड़ दाय भीड़ निकरलाय, तेबे हांय भीतरे जाई करी टोकीर हाथ के धरला आवरी हांय जीव उठला | 26 आउर ऐ गोट बात सबू देश ने पहुचला | 27 जड़ दाय यीशु हांय लगले छमे गला तेबे दुयटा काना मन हातार पिटी हांग देयते गलाय, ऐ दाऊदर बेटा हमर उपरे दया कर | 28 जड़ दाय हांय घरे पहुँचला तेबे काना मन तार लगे आसी करी, आवरी यीशु तिके बलला, काय तोमके विश्वास आचे की काय मै ये करके सकी? हांय मन ताके बललाय, हां परभू | 29 तेबे तार आंकी के ची करी बलला,तमर विश्वास असन तमर काजे हो | 30 आवरी तार आंकी खुली गला | यीशु तिके चिताय करी बलला '' जागरत रहा,कोनी ऐ गोट के ना जानेत|'' 31 मातर हांय मन निकरी करी सबू देश ने गोट के सांगी देलाय| 32 जड़क दाय हांय मन बाहरे जायते रलाय,तेबे दका लोक गोटक कोंदा के जाहार उपरे दुष्ट आत्मा रहे,हातार लगे आंलाय; 33 आवरी जड़ दाय दुष्ट आत्मा निकराय देला कोंदा गोटाला | आवरी चकित होई करी बलला , इस्राएल ने असन केबी ना दकी रलू |'' 34 मातर फरीसी मन , बलालय,हे तो बुत आत्मा मनर सायता ने बुत आत्मा मन के निकराहू आय |'' 35 यीशु सबू नगर मन ने आवरी गांव मन ने बुलते रहे आवरी हातार मंडली घर मन ने उपदेस करते रहे, आवरी राजरसुसमाचार आवरी परचार करते,आवरी सबू परकारर बिमारी आवरी निबल के दूर करते रहे | 36 जड़ दाय भीड़ के दकला तेबे हांके लोक उपरे दया आयला,कसन की हांय तिकर मंडी मनर असन जाहार कोनी राका करबा बिता निआत,बयाकुल आवरी बुलकला असन रहेत | 37 तेबे हांय आपनार चेला मन के बोलला, ''पाकला बेड़ा तो खुबे आचे मातर कमाऊ लोक किंडीक मा आचेत | 38 एइकाजे खेतीर मालिक के बिनती करा की हांय अपनार खेत काटबा काजे मजदूर पटाओ |