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फारकती देवा को सवाल
(मरकुस १०.१–१२)
1 फेर असो होयो के जदे ईसु ई बातहुंण कई चुक्यो तो गलील से बिदा हुई के यरदन का पेलांड़ी उगणूं आड़ी यहूदिया का इलाका माय आयो। 2 तो एक बड़ीमेक भीड़ उका पाछे चली पड़ी, अने उने उणके नज कर्या।
3 फेर थोड़ाक फरीसिहुंण उके बात माय फंसावा सरु उका कने आया अने केवा लाग्या, "कंई आदमी सरु अपणी बइरा के कइंकाज कारण से फारकती देणो सई हे?"
4 a उने जुवाब द्यो, "कंई तमने नी बांच्यो के रचवा वाळा ने सुरु सेज 'उणके आदमी-बइरा करिके बणाया,' 5 b अने क्यो, 'इनी वजासे आदमी अपणा मां-बाप से इकाड़ी रई के अपणी घराळी से मिळ्यो रेगा अने वी दोई एक काया रेगा?' 6 इकासरु वी अबे दो हयनी पण एक काया हे। जिणके परमेसर ने जोड़्या, उणके कइंका मनख इकाड़ी नी करे।"
8 उने उणकासे क्यो, "तमारा हिरदा का काठापण की वजासे मूसा ने घराळी के फारकती देवा की इजाजत तमारे दई, पण सुरु माय असो नी थो। 9 d अने हूं तमार से कूं, के जो कईं को ब्योबिचार का अलावा दूसरी कइंकी वजासे अपणी घराळी के छोड़ी के दूसरी से ब्याव करे, तो उ ब्योबिचार करे हे।" अने जो उनी छोड़ी हुई से ब्याव करे, उ बी ब्योबिचार करे हे।
10 चेलाहुंण ने उकासे क्यो, "अगर आदमी को नातो अपणी घराळी से असोज हे तो कुंवारो रेणोज भलो।
11 पण ईसु ने क्यो, "इनी बात के सगळा नी, पण सिरप वीज धारी सके, जिणकी मदद परमेसर करे हे। 12 क्योंके थोड़ाक हिजड़ा हे जो मां का पेट सेज असा जन्म्या। थोड़ाक हिजड़ा जिणके मनखहुंण ने बणई लाख्या, अने थोड़ाक असा बी हे जिणने सरग राज सरु ब्याव नी कर्यो हे। जो इके धारी सके, उज धारे।"
नाना बाळकहुंण के आसीस
(मरकुस १०.१३–१६; लूका १८.१५–१७)
13 तो थोड़ाक बाळकहुंण के उणका मां-बाप ईसु कने लाया, के उ उणका पे हात धरी के पराथना करे, पण चेलाहुंण ने उणके डांट्या। 14 तो ईसु ने क्यो, "बाळकहुंण के म्हारा कने आवा दो। उणके मना मती करो, क्योंके सरग को राज आसाहुंण कोज हे।"
15 तो उणका पे हात धरवा का बाद उ वां से चल्यो ग्यो।
मालदार जुवान
(मरकुस १०.१७–३१; लूका १८.१८–३०)
16 देखो, एक धणी मनख ने उका कने अई के क्यो, "हे गरु, हूं कां को भलो काम करूं के परमेसर का गेले सदा को जीवन पउं?"
17 उने क्यो, "म्हार से भला का बारामें कायलेणे पुछे? सिरप एकज हे जो भलो हे। अगर तू जीवन माय जाणो चावे तो हुकमहुंण को पाळण कर।"
तो ईसु ने क्यो, "हत्या नी करनों, ब्योबिचार नी करनों, चोरी नी करनों, झुंटी गवई नी देणो, 19 f अपणा पिता अने अपणी मेतारी को मान राखणो, अने अपणा पड़ोसी से अपणा सरीको परेम राखणो।"
20 जुवान ने उकासे क्यो, "इना सगळा हुकम के तो हूं नानपणा से पाळतो आयो हूं; फेर म्हारा माय कंई कमकोती?"
21 ईसु ने उकासे क्यो, "अगर तू सिद्द होणो चावे तो जा, अपणो धन बेची के गरीब-गुरबाहुंण के दई दे, थारे सरग माय धन मिळेगा। अने अई के म्हारा पछड़े चल्यो चल।"
22 पण जदे जुवान ने यो सुण्यो तो दुःखी हुई के चल्यो ग्यो, क्योंके उ घणो मालदार थो।
23 तो ईसु ने अपणा चेलाहुंण से क्यो, "हूं तमार से खास बात कूं के धणिहुंण के सरग का राज माय जाणो कितरो अबगो हे। 24 हूं तमार से फेर कूं, के कइंका धणिहुंण के परमेसर का राज माय जावा का बजाय ऊंट के सुंई का बेज माय से हिटणो सेज हे।"
25 जदे चेलाहुंण ने यो सुण्यो तो वी घणा चोंक्या अने केवा लाग्या, "तो फेर केको उध्दार हुई सकेगा?"
26 ईसु ने उणका आड़ी देखी के क्यो, "मनख सरु जो अबगो हे, पण उ परमेसर सरु सबगो हे।"
27 इका पे पतरस ने क्यो, "देख तो, हम तो सगळो कंई छोड़ी के थारा पाछे चली पड़्या। तो हमारे कंई मिळेगा?"
28 g ईसु ने उणकासे क्यो, "हूं तमार से खास बात कूं के तम जो म्हारा पाछे चल्या आया हो उना आवा वाळा जगत माय जदे सगळो कंई पाछो नवो हुई जायगा अने हूं मनख को बेटो अपणा म्हेमावान सिंगासण पे बिराजुंवां तो तम बी बारा सिंगासण पे बिराजी के इसराइल का बारा गोत को न्याव करोगा। 29 अने हरेक जेने म्हारा नाम सरु घरहुंण अने भई-बेनहुंण अने पिता अने मेतारी अने छोरा-छोरीहुंण अने खेतहुंण छोड़ी लाख्या, उ इका से नरो गुणो बत्ती पायगा अने परमेसर का गेले सदा का जीवन को हकदार रेगा। 30 h पण नरा जो अगल्या हे, वी पाछल्या रेगा, अने जो पाछल्या हे, वी अगल्या रेगा।