15
पापी सभक प्रति परमेश्वरक प्रेमक तीन दृष्टान्त
1 कर असूल करऽ वला और “पापी” सभ यीशु लग हुनकर शिक्षा सुनबाक लेल जमा भऽ रहल छल। 2 मुदा फरिसी और धर्मशिक्षक सभ दूसऽ लगलाह जे, “ई तँ पापी सभ केँ स्वागत करैत अछि और ओकरा सभक संग खाइतो अछि।”
हेरायल भेँड़ाक दृष्टान्त
(मत्ती 18.12-14)
3 तखन यीशु हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, 4 “मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ ककरो जँ एक सय भेँड़ा होअय और एकटा हेरा जाय, तँ की ओ अपन निनान्नबे केँ बाध मे छोड़ि हेरायल भेँड़ा केँ ताबत धरि नहि तकैत रहत जाबत धरि ओ नहि भेटतैक? 5 तकरबाद भेटि गेला पर ओ कतेक प्रसन्न होयत! अपना भेँड़ा केँ कान्ह पर उठा कऽ घर चल आओत 6 और अपन संगी-साथी, पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल भेँड़ा भेटि गेल।’ 7 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहि तरहेँ निनान्नबे एहन धर्मी सभ जे ई बुझैत अछि जे हमरा अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि, स्वर्ग मे ओकरा सभक अपेक्षा ओहि एक पापीक लेल बेसी आनन्द मनाओल जायत जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि।
हेरायल रुपैयाक दृष्टान्त
8 “वा मानि लिअ जे कोनो स्त्री केँ दसटा चानीक रुपैया होइक और एकटा हेरा जाइक, तँ की ओ डिबिया लेसि कऽ घर बहारि कऽ ओ रुपैया जा धरि नहि भेटि जयतैक ता धरि बढ़ियाँ जकाँ तकैत नहि रहत? 9 तकरबाद रुपैया भेटला पर ओ अपन सहेली और पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल रुपैया फेर भेटि गेल।’ 10 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एही तरहेँ एकोटा पापी जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि, तकरा लेल परमेश्वरक स्वर्गदूत सभ आनन्द मनबैत छथि।”
हेरायल बेटाक दृष्टान्त
11 यीशु आगाँ कहलथिन, “एक आदमी केँ दूटा बेटा रहनि। 12 छोटका अपना बाबू केँ कहलकनि, ‘यौ बाबूजी! हमर अंश-सम्पत्ति जे-जतेक होयत, से एखने हमरा बाँटि कऽ दऽ दिअ।’ एहि पर बाबू दूनू बेटा मे अपन धन-सम्पत्ति बाँटि देलथिन।
13 “किछु दिनक बाद छोटका बेटा अपन सभ धन-सम्पत्ति लऽ कऽ दूर परदेश चल गेल। ओतऽ ओ भोग-विलास मे अपन सभ धन उड़ा लेलक। 14 ओकर सभ धन खर्च भऽ गेलाक बाद, ओहि देश मे बहुत भारी रौदी पड़लैक, और ओ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेल। 15 तखन ओ ओहि देशक एक आदमीक शरण मे गेल, जे ओकरा अपना खेत मे सुगर चरयबाक लेल पठौलकैक। 16 ओकरा बड्ड इच्छा भेलैक जे, जे खोंइचा सुगर सभ खा रहल अछि ताहि सँ हम अपनो पेट भरितहुँ, मुदा ओकरा केओ किछु नहि दैत छलैक।
17 “तखन ओकरा होश अयलैक, और ओ सोचऽ लागल जे, हमर बाबूजीक ओतेक नोकर-चाकर सभ भरि पेट भोजन पबैत अछि, और हम एतऽ भूख सँ मरऽ-मरऽ पर छी। 18 हम अपना बाबूक ओहिठाम जा कऽ ई कहबनि जे, बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। 19 हम आब अहाँक बालक कहयबा जोगरक नहि छी। अपना नोकर सभ जकाँ हमरो एकटा नोकर मानू।
20 “एना विचार कऽ कऽ ओ उठल आ अपना बाबूक ओहिठाम जयबाक लेल विदा भऽ गेल। ओ घर सँ दूरे छल कि ओकर बाबू ओकरा चिन्हि गेलथिन और हुनकर हृदय दया सँ भरि गेलनि। ओ दौड़ि कऽ अपना बेटा केँ भरि पाँज पकड़ि ओकरा चुम्मा लेबऽ लगलथिन। 21 बेटा हुनका कहलकनि, ‘बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। हम आब अहाँक पुत्र कहयबा जोगरक नहि छी।’ 22 मुदा पिता अपना नोकर सभ केँ कहलथिन, ‘जल्दी सँ बढ़ियाँ-बढ़ियाँ कपड़ा आनि कऽ एकरा पहिरा दहक, हाथ मे औँठी लगा दहक, पयर मे जुत्ता सेहो पहिरा दहक, 23 और ओ मोटका पशु जे पोसि कऽ रखने छी, तकरा काटह! हम सभ भोज कऽ कऽ खुशी मनायब, 24 किएक तँ ई हमर बेटा मरि गेल छल आ फेर जीबि गेल! ई हेरायल छल आ फेर भेटि गेल!’ तकरबाद ओ सभ खुशी मनाबऽ लगलाह।
25 “ई सभ होइत काल जेठका बेटा खेत मे रहनि। जखन ओ घर लग पहुँचल तँ घर मे नाच-गान सुनलक। 26 ओ एकटा नोकर केँ बजा कऽ पुछलक, ‘ई की भऽ रहल अछि?’ 27 नोकर कहलकैक, ‘अहाँक भाय अयलाह अछि, आओर अहाँक बाबूजी एहि खुशी मे जे हमर बेटा हमरा फेर सकुशल भेटि गेल अछि, मोटका पशु जे पोसल छलैक, तकरा कटबौलनि अछि।’
28 “ई सुनि कऽ ओकरा ततेक तामस भेलैक जे ओ भीतरो नहि गेल। बाबूजी ई बात बुझि, बाहर आबि कऽ ओकरा मनाबऽ लगलथिन। 29 मुदा ओ अपना बाबू केँ उत्तर देलकनि जे, ‘देखू! एतेक वर्ष सँ हम मरि-मरि कऽ अहाँक सेवा कऽ रहल छी, आ कहियो अहाँक बात नहि टारलहुँ। तैयो आइ धरि हमरा संगी सभक संग खुशी मनयबाक लेल एकोटा पठरू तक काटऽ नहि देलहुँ, 30 मुदा अहाँक ई बेटा वेश्या सभ लग अहाँक सभ धन-सम्पत्ति उड़ा कऽ जखन घर आयल अछि, तँ अहाँ ओकरा लेल पोसल मोटका पशु कटबबैत छी!’