मर्द होर बेटढ़ी
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1 हे बेटढ़ीयो तिही तमेे भी आपणे मर्दा रे अधीन रहा तिही एतकि तणी कि अगर याह मेंज़ा का कोई एढ़े हो ज़ोह बचना नांई मनदे हो तिही 2 तेबा भी थारी डरा सहित पबित्र चाल चलना हेरी करे बना बचना रे आपणी-आपणी बेटढ़ी रे चाला चलना रे दुआरा खींचे । 3 थारा श्रृगार दिखाबटी नांई हो तिही अर्थात बाल गूँथना तिही होर सुने रे गहने तिही या भंति-भंति रे झिकड़े बानणा तिही 4 पर थारा गोझु दा होर गुप्त मनुष्यत्व तिही नम्रता होर मना री दीनता री अबिनाशी सजाबटा का सुसज्जित (सजी) रहे तिही किबेकि दईब री दृष्टि (नजरा)में एउ री किमत बड़ेी साहा । 5 पुराणा टाईमा में पबित्र बेटढ़ी भी तिही ज़ोह दईब पैंदे आशा डाहंदा तिही आपणे आपा बे एसी रीति का सबारदी होर आपणे -2 मर्दा रे अधीन रहंदा तिही । 6 जेढ़े सारीा अब्राहमा री आज्ञा में रहंदा होर तेऊ बे दईब बोला तिही । एउ साबे तमेे भी अगर भलाई करा होर कासी प्रकारा रे डरा का नांई डरा तिही तेबा तेसकी शोहरी ठहरणी । 7 तेढे ही हे बेटढ़ी यो तिही तमेे भी बुदी मानी का मर्दे संघा जीबन नभाए करा तिही होर बेटढ़ी निर्बल पात्र ज़ाणी करे तेसका आदर करा तिही यह समझी करे कि हामे दुहे जीबना रे बरदाना रे बारिस साहा तिही ज़ासु का थारी प्रार्थना नांई रुके ।भलाई करणे रे कारण सताब
8 पर सभी रे सभे एक मन होर कृपामय होर भाई चारे री प्रीति डाहंण आल़े तिही होर करुणामय तिही होर नम्र बणा । 9 बुराई रे बदले बुराई नांई करा होर नांई गाल़ी रे बदले गाल़ी देआ ; पर एतके बदले आशीष देआ किबेकि तमेे आशीषा रे बारिस हूँणे बे शादी दे साहा । 10 किबेकि " ज़ोह कोई जीबना री इच्छा डाहंदा तिही होर शोभले ध्याडे हेरना चाँहंदा तिही सह आपणी जीभा बुरे का तिही होर आपणे ओठा छला री गला करणे का रोकी रहे । 11 बुराई रा साथ छाढे तिही होर भलाई ही करे : होर मेल मिलापा लोढे होर तेऊ रे यत्ना में रहे । 12 किबेकि दईब री आछी धर्मी पैंदे लागी रहंदा तिही होर तेऊ रे कणेट तया री बिनती री तरफा बे लागी रहंदा ; पर बुराई कर्ण आल़े रे बिमुख रहंदा : 13 अगर तमेे भलाई करणे बे उतेजित रहा तेबा थारी बुराई कर्ण आल़अ तेबा कुणअं साहा ? 14 अगर तमेे धर्मा रे कारण दुःख भी चुआके तिही तेबा धन्य हो ; पर लोका रे डरयाउणे का नांई डरे तिही होर नांई घबराए तिही 15 पर मसीह दईब ज़ाणी करे आपणे-आपणे मना में पबित्र समझा । ज़ोह कोई तमा का थारी आशा रे बारे में कुछ पूछे तेऊ बे उतर दिंणे बे सदा तयार रहा तिही होर नम्रता होर डरे संघा : 16 होर विबेक भी शुद्ध डाहा तिही ए री तणी ज़ासु गला रे बारे में थारी बदनामी हुँदा तेउरे रे बिश्य में ज़ोह तिही मसीह यीशु में थारे शोभले चाल चलना रा अपमान करा तिही लज्जित हो । 17 किबेकि अगर दईब री यहे इच्छा हो कि तमेे भलाई करणे रे कारण दुःख चुआका तिही तेबा यह बुराई करणे रे कारण दुखा चुआकणे का उतमे साहा । 18 ए री तणी मसीहे भी तिही अर्थात अधर्मी बे धर्मीएँ तिही पापा रे कारण एक बारी दुःख चुआकू तिही ताकि हामा दईब रे सेटा पजेरे ; सह शरीरा रे भाबा का त घात करू दा तिही पर आत्मा रे भाबा का ज़ाल़ु । 19 ए में तेऊ नाहीं करे कैदी आत्मा बे भी प्रचार करू तिही 20 जूणी तेऊ बिती दे टाईमा में आज्ञा नांई मनी तिही जेबा दईब नूहा रे ध्याड़े में धीरज धरी करे ठहरी रहू तिही होर जहाज बणदअ लागअ द तिही, ज़ासु में बेशी करे थोड़े लोका अर्थात आठ पाणी रे दुआरा बची 21 तेहू पाणी रा दृष्टान्त भी तिही अर्थात बपतिस्मा तिही यीशु मसीह रे जिउंदे हूँणे रे दुआरा तिही एबा तमा बचाउंदा ; एता का शरीरा रे मईला दूर करणे रा अर्थ नांई साहा तिही शुद्ध विबेका का दईब रे बंशा में हूँणे रा अर्थ साहा । 22 सह सर्गे नाहीं करे दईब रे धुरा फेरे बेठअ ; होर सर्ग दूत होर अधिकारी होर सामर्थ्यी तेऊ रे अधीन करी दे साहा ।