पक्षपात रा बारे में चतौनी
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1 हे मेरे भाइयो, म्हारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीहे पेंदे थारे बुशाहे संघे पक्षपात नांई हो । 2 किवैकि अगर एक मणश सूने री मुन्दडी होर शोभल झिखडे बानही करे थारी सभा में इच्छे, होर एक कंगला भी मईले झिखडे बानही करे इच्छे, 3 होर तमे तेउ शोभल झिकड़ आल़े रे मुँहे हे री करे बोला तिही “ तूहे तखे शोभली ज़घ वैशहे तिही “होर तेउ कंगाला वै बोला, “ तूहे अखे खढ़अ रह, ” यह म्हारी जांघा सेटा वैश,” 4 तेवा कैहे तमे आपु में भेद-भाब नांई करू होर बुरे बचारा क न्याय करने आल़े नांई ठहेरी ? 5 हे मेरे भाइयो, शुणा । कैहे दईब एउ जगत रे कंगला नांई चुनी कि बुशाह में सेठ होर तेउ राज्य रे अधिकारी हो, ज़सकी कसम तेउ त्याह क करी दी साह ज़ोहे तेउ संघे प्रेम डांहदा ? 6 पर तमे तेउ कंगला रा अपमान करू । कैहे सेठ लोका तमे पेंदे अत्याचार नांई करदे होर कैहे त्याह तमा कचहरी में घिशी-घिशी करे नांई निंदे ? 7 कैहे त्याह तेउ दइबा रे ना निन्दा नांई करदे जासके तमे कहलाऊंदा ? 8 तेवा भी ज़ेबा तमे पबित्र शास्त्रा रे एउ बचन रे सवै कि, " तूहे आपण पड़ोसी संघे आपु बराबर प्रेम डाहे, " सची तेसा राज्य व्यवस्था पूरी करे, तेवा रांबडा ही करदा । 9 पर अगर तमे पक्षपात करे तेवा पाप करदा ? होर व्यवस्था तमे बे अपराधी ठहराऊंदा । 10 किवैकि ज़ोहे कोई सारीी व्यवस्था रा पालन(मानदा) करदा पर एकु ही गला क चुकदा तेवा सह सभी गला में दोषी ठहरी छेकू द साहा । 11 एताकि तणी कि जूणी यह बोलू, “तमे ब्यभिचारे नांई करे* ” तेउ ही यह भी बोलुद साहा, “ तू कासी नांई मारे", एतकि तणी तांई ब्यभिचार त नांई करू पर हत्या करी तेवा भी तू व्यवस्था रे साबे पापा करणे आलअ ठहरु । 12 तमे त्याह लोका बराबर बचन बोला होर काम भी करा, जासका न्याय आजादी री व्यवस्था रे सावै हुणा । 13 किवैकि जूणी दया नांई करी, तेउरा न्याय बिना दया क हुणा दया न्याय पेंदे हमेशा जीत पाऊंहदा ।
बुशाह होर कर्म
14 हे, मेरे भाइयो, अगर कोई बोला कि म्ह़ा बुशाह साह पर सह कर्म नांई करे, तेवा एता क कैहे फायदा ? कैहे एढ बुशाह तेउरा उध्दार करी सकदा ? 15 अगर कोई भाई यह भीण नंग-घुआड़ हो होर त्याह हर ध्याड़े रोटी री कमी हो, 16 होर तमे मेंज़ा क कोई त्याह वै बोले, “शांति संघे नाहे, तमे गरम रहे होर रजी रहे," पर ज़ोहे चिजा शरीरा वै ज़रुरी साहा, त्याह ही वै नांई दे तेवा कैहे फायद ? 17 तेढ ही बुशाह भी, अगर कर्म संघे नांई हो तेवा आपणे स्बभाबा में मुअं द साहा । 18 पर कोई बोली सकदा, “ ताह बुशाह साह होर हांऊं कर्म करे ।” तूहे आपण बुशाह म्ह़ा वै बिना कर्मे रीहा ; होर म्ह़ा आपण बुशाह कर्मे संघे ताह बे रीहांऊंणा । 19 ताह बुशाह साह कि एक ही दईब साहा ; तू रांबडा करदा । दुष्टात्मा भी बुशाह डांहदा, होर कांबदा । 20 पर हे नकामें मणशो, कैहे तूहे यह भी नांई ज़णदअ कि कर्मा बिना बुशाह थोगे साहा ? 21 ज़ब म्हारे बापू अब्राहमे आपण शोहरु इसहाक बेदी पेंदे चढ़ाऊ, तेवा कैहे सह कर्मा क धार्मिक नांई ठहरु तिही ? 22 पर ताँईं हेरी छेकू कि बुशाहे ही तेउरे कामा संघे मिली करे प्रभाब पाऊ, होर कर्मा रे सवै बुशाहे सिध्द होऊ, 23 होर पबित्र शास्त्रा रा यह बचन पूरा होऊ : “अब्राहमे दईबा रा बुशाह करू, होर यह तेउ वै धर्मिकता गिणु, ”होर सह दईबा रअ मित्र कहलाऊ । 24 एउ सवै तमे हेरू कि मणश सीधी बुशाह क ही नांई, पर कर्मा क भी धर्मी ठहरदा । 25 तेहडे ही राहब वैश्य भी तिही, ज़ेबा कि तेसे दूत आपणे घरे उतारी होर दूजी बाता बिदा करी, तेवा कैहे कर्मा क धार्मिक नांई ठहरी ? 26 जेहडे शरीर आत्मा बगैर मुंअ द साहा, तेढही बुशह भी कर्मा बिना मुंअंद साहा ।