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1 हाँऊं चाहंदा कि तमे ज़ाणा, कि थारे होर त्याह वै ज़ोह लौदीकिया में साहा, होर त्याह सभी वै जूणी मेरे शारीरिक मुँहे नांईं हेरू तिही हाँऊं केढ़ी मेहनत करा । 2 ताकि त्याह रे मना में शान्ति हो होर त्याह प्रेमा में आपु में गठे (बान्हीं) रहे होर पूरी समझा रा सारा धन प्राप्त करे , होर दईब बापू रे भेदा वै अर्थात मसीहा पछेणे । 3 ज़ासु में बुदि होर ज्ञाना रे सारे भण्डार गोझी दे साहा । 4 यह हाँऊं एताकि तणी बोला कि कोई मणश तमा लुभाऊण आल़ी गला क धोखा नांईं दे । 5 हाँऊं शरीरा रे भावा का तमा का दूर साहा, तेवा भी आत्मिक भबा का तमा नेढ साहा ,होर थारे व्यबस्थित जीबन होर थारे बुशाह री , ज़ोह मसीहा में साहा दृढ़ता (पाके ) हेरी करे खुश हूँदा ।
मसीहा में जीबना री भरपूरी
6 एतकि तणी ,जेड़ा तमे मसीह यीशु प्रभु करी करे ग्रहण करू, तेढ़े ही एथी में चलदे रहा । 7 होर एथी में ज़ड़ा ढाकते होर बढ़दे रहा ; होर जेढ़े तमे सिखाई तेढ़े ही बुशाहा में पाके हूँदे रहा ,होर ज्यादा का ज्यादा धन्याबाद करदे रहा । 8 चौकस रहा कि कोई तमा तेऊ तत्व – ज्ञाना होर ब्यर्थ धोखे रे दुआरा आपणे अहेर* नांईं बणाए ,ज़ोह मणशा री परम्परा होर संसारा री आदि शिक्षा रे साबे त साहा ,पर मसीहा रे साबे नांईं । 9 किबेकि तेता में दईब तत्बा री सारी परिपूर्णता सदहे वास करा । 10 होर तमे एथी में भरपूर होई ज़ोह सारी प्रधानता होर अधिकारा रे शिरोमणी साहा । 11 तेथी में थारे एढा खतना होउ दा साहा ज़ोह हाथे नांईं हूँदा *,अर्थात मसीहा रा खतना होऊ ज़ासु का शारीरिक देहा उतारा तिही । 12 होर एथी में वपतिस्मा में गाड़ी , होर एथी में दईबा री सामर्थ्य में बुशाह करी करे, जूणी सह मुएँदे का जिउंदअ करू, तेऊ संघे जी भी उठी । 13 होर मसीहे तमे भी , ज़ोह आपणे अपराधा ,होर आपणे शरीरा री खतना रहित दशा में मुर्दे तिही, त्याहे संघे जिउंदे करी, होर म्हारे सब अपराध भी क्षमा करी । 14 होर बिधि रा सह लिखूदा* ज़ोह म्हारे ना पेंदे होर म्हारे विरोधा में तिही मिटाई पाऊ ; होर सह क्रूसा में किले संघे जड़ीकरे ( पेची ) करे सामने का हटाऊ । 15 होर तेऊ प्रधानता होर अधिकार आपु पेंदा का उतारी करे त्याह रा खुल्लमखुला तमाशा बणाऊ होर क्रूसा रे दुआरा त्याह पेंदे जय- जयकारा री ध्बनि शुणाई । 16 एतकि तणी खाणे - पिणे या परबा या नउंईं ज़ोथ ,या सब्ता रे बिषय में थारा कोई फैसला नांईं करे । 17 किबेकि यह सब ईंहंण आल़ी गला री छाप साहा, पर मूल बस्तु मसीहा री साहा । 18 कोई मणश आत्मा -दीनता होर स्वर्गदूता री पूजा करी करे तमा ठुरा रे प्रतिफल का बंचित नांईं करे । एढअ मणश हेरी दी गला में लगी रहंदा होर आपणी शारीरिक समझा पेंदे ब्यर्थ फूला । 19 होर तेसा शिरोमणि ढाकी नांईं डाहंदअ ज़ासु का सारी देह ज़ोड़ा होर पट्टो रे दुआरा पालन- पोषण पाई करे होर कठे गठकरे (बान्हीं करे ), दईबा री ओरा का बढ़दी रहंदा ।
मसीहे संघे मरणा होर जिउंणा
20 ज़ेबा कि तमे मसीहे संघे संसारा री आदि शिक्षा री ओरा का मुंएँदे हो , तेवा भी किवै त्याह रे बराबर ज़ोह संसारा में जीबन बताउंदा ? तमे एढी बिधि रे बशा में किवै रे रहंदा ? 21 कि ' यह नांईं छुहें ,' 'तेता नांईं चाखे, 'होर तेऊ हाथ नांईं लाए '? 22 (किबेकि या सब बस्तु कामा में आणदे -आणदे नष्ट हूँणी )किबेकि यह मणशा री आज्ञा होर शिक्षा रे साबे साहा । 23 याह बिधि में आपणी इच्छा रे साबे गढ़ी दी भक्ति री रीति, होर आत्मा दीनता तिही होर शारीरिक अभ्यासा रे भाबा का ज्ञाना रा ना त साहा , पर शारीरिक लालसा रोकण में याह का किछे भी फायदा नांईं हूँदा ।