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सूखे हाथ वाले मनुष्य का स्वस्थ किया जाना
गुरु येशु फिर सत्संग भवन में गए । वहां एक मनुष्य था जिसका हाथ सूख गया था । कुछ लोग ताक में थे कि प्रभु येशु उसे विश्राम-दिवस पर स्वस्थ करते हैं या नहीं, जिससे वे उन पर आरोप लगा सकें ।
प्रभु येशु ने सूखे हाथ वाले मनुष्य से कहा, “उठो, सबके बीच में खड़ा खड़े हो;” और फिर लोगों से बोले, “आचरण संहिता के अनुसार विश्राम-दिवस पर भलाई करना ठीक है या बुराई, जीवन बचाना या उसे नष्ट करना?” वे लोग चुप्पी साधे रहे ।
इस पर प्रभु येशु ने गुस्से से चारों ओर दृष्टि डाली और उनके मन की कठोरता पर दुखित होकर उस मनुष्य से कहा, “हाथ बढ़ा ।” उसने हाथ बढ़ा दिया और उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया । तब फरीसी बाहर निकले और तुरन्त प्रभु येशु के विरुद्ध हेरोदेस-दलa फरीसी…हेरोदेस-दल हेरोदेस दल लोगों का एक समूह था जो राजा हेरोदेस का अपने गलील प्रदेश के शासक के रूप में समर्थन करता था । क्योंकि प्रभु येशु भी गलील से थे और वहां पर काफी प्रसिद्ध हो रहे थे, इस कारण वे उनके विरुद्ध हो गए और फरीसियों के साथ मिलकर षड्यंत्र करने लगे । के साथ साज़िश करने लगे कि किस प्रकार उनकी हत्या करें ।
अन्य रोगियों का स्वस्थ होना
गुरु येशु अपने शिष्यों के साथ झील की ओर निकल गए । तब गलील प्रदेश, यहूदा प्रदेश, यरूशलेम नगर, इदूमिया देश, यरदनपार, सोर और सीदोन के आसपास के प्रदेशों से विशाल भीड़ उनके कार्यों की चर्चा सुन कर उनके पास आई ।
गुरु येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “एक नावं मेरे लिए तैयार रखो कि मैं भीड़ से दब न जाऊं”; 10 क्योंकि उन्होंने बहुत बीमारों को ठीक किया था । इसलिए सब पीडि़त लोग उन पर गिरे पड़ रहे थे कि उन्हें छू ही लें । 11 अशुद्ध आत्माएं भी जब प्रभु येशु को देखतीं तो उनके सामने गिर पड़तीं और चिल्ला कर कहती थीं, “आप परमात्मा के पुत्र हैं”; 12 पर वह उन्हें डांट कर कहते थे, “लोगों को मत बताओ कि मैं कौन हूँ ।”
बारह प्रेषित शिष्यों की नियुक्ति
13  गुरु येशु पहाड़ पर चले गए और जिनको बुलाना चाहते थे, उनके पास आए । 14-15 उन्होंने बारह शिष्यों को नियुक्त किया [और उन्हें “प्रेषित शिष्य” नाम दिया], कि वे उनके साथ रहें और वह उनको दुष्ट आत्माओं को निकालने का [और बिमारियों को ठीक करने का] अधिकार देकर शुभ संदेश सुनाने के लिए भेजें । 16 [इस प्रकार उन्होंने इन बारह को नियुक्त किया] :
 
शिमौन (जिसका नाम “पतरस” रखा);
17 जबदी का पुत्र जयकब; और जयकब का भाई योहन (इन दोनों का नाम रखा “बूअनरगिस” अर्थात् “गर्जन के पुत्र”);
18 अन्द्रियास,
फिलिप,
बरतुलमे,
मत्ती,
थोमा,
हल्फई का पुत्र जयकब,
तद्दी,
शिमौन जो “देशभक्त” कहलाता है
19 और यहूदा इस्करियोती जिसने प्रभु येशु को पकड़वाया ।
शैतान की शक्ति या दिव्य आत्मा की
20 जब प्रभु येशु एक घर में आए, तब इतनी भीड़ फिर इकट्ठा हो गई कि वह और उनके शिष्य भोजन भी न कर सके । 21 जब प्रभु येशु के परिवार ने यह सुना तब उन्हें घर वापस लाने कि कोशिश करने के लिए निकले; क्योंकि लोग कहते थे कि वह पागल हो गए हैं ।
22 यरूशलेम से आए हुए शास्त्रियों ने भी कहा, “उसमें बालजबूल है,” और “दुष्ट आत्माओं के राजकुमार की सहायता से वह दुष्ट आत्मा निकालता है ।”
23  प्रभु येशु ने उनको अपने पास बुलाया और उदाहरण देते हुए कहा, “शैतान, शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24 यदि किसी राज्य में फूट पड़ जाए तो वह राज्य स्थिर नहीं रह सकता । 25 यदि किसी घर में फूट पड़ जाए तो वह घर स्थिर नहीं रह सकता । 26 और यदि शैतान अपने ही विरुद्ध उठ खड़ा हो तो उसमें फूट पड़ गई । वह स्थिर नहीं रह सकता, परन्तु उसका अन्त हो जाता है । 27 कोई मनुष्य ताकतवर के घर में घुसकर उसका धन नहीं लूट सकता जब तक वह पहले उस ताकतवर को बांध न ले; इसके बाद ही वह उसके घर को लूट सकेगा ।”
28-30 कुछ लोगों ने कहा था, “ उसमें अशुद्ध आत्मा है ।” तो प्रभु येशु बोले, “मैं तुमसे सच कहता हूँ: लोगों को सब बातों की, सब पाप और सब प्रकार की निन्दा की जो वह मुहं से निकाले, माफ़ी मिलेगी; पर दिव्य आत्मा के विरुद्ध निन्दा करनेवाले को कभी माफ़ी नहीं, वह अनन्त पाप का अपराधी है [और अनंत न्याय के आधीन हैं]^।”
सच्चा नाता
31 तब प्रभु येशु की माता और भाई आ पहुचें और घर के बाहर खड़े होकर उन्हें बुलवा भेजा । 32 लोग उनके चारों ओर बैठे थे । उन्होंने प्रभु येशु को बताया, “देखिए, आपकी माता और भाई [और बहन] बाहर आपसे मिलना चाहते हैं ।”
33  प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “कौन है मेरी माता और मेरे भाई?” 34 फिर आसपास चारों ओर बैठे हुए लोगों पर नज़र डाली और बोले, “देखो, ये हैं मेरी माता और मेरे भाई । 35 जो व्यक्ति परमात्मा की इच्छा के अनुसार काम करे, वही मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता है ।”

a3:6 फरीसी…हेरोदेस-दल हेरोदेस दल लोगों का एक समूह था जो राजा हेरोदेस का अपने गलील प्रदेश के शासक के रूप में समर्थन करता था । क्योंकि प्रभु येशु भी गलील से थे और वहां पर काफी प्रसिद्ध हो रहे थे, इस कारण वे उनके विरुद्ध हो गए और फरीसियों के साथ मिलकर षड्यंत्र करने लगे ।